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शहीद की शहादत का बना दिया सिस्टम ने मजाक, पिता को आज भी सम्मान की दरकार

vivek gupta शहीद की शहादत का बना दिया सिस्टम ने मजाक, पिता को आज भी सम्मान की दरकार

साल 1999 जब भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर एक बड़ा युद्ध शुरू हुआ।जिसे कारगिल वॉर के नाम से हम सभी जानते हैं।जब हमारे देश के जवानों ने सीमा पर पाकिस्तानी फौजों ने दांत खट्टे कर दिए थे।इस ऑपरेशन में हमारे तकरीबन 527 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे।शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशा होगा।ये लाइने हमारे अंदर शहीदों के लिए सम्मान का भाव लाती है।लेकिन आज हम इन्ही शहीदों में कारगिल के उस वीर शहीद की शहादत के बाद गुमनामी में पड़े परिवार की एक व्यथा लेकर आए है।

 

vivek gupta शहीद की शहादत का बना दिया सिस्टम ने मजाक, पिता को आज भी सम्मान की दरकार

अपने देश के लिए तोरोलिंग चोटी पर तिरंगा तो लहरा दिया लेकिन खुद तिरंगे में लिपट कर वापस आ गए

हम बात कर रहे हैं 2 राजपूताना राइफल के शहीद महावीर चक्र विजेता मेजर विवेक गुप्ता की।जिन्होने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी यूनिट अपने देश के लिए तोरोलिंग चोटी पर तिरंगा तो लहरा दिया लेकिन खुद तिरंगे में लिपट कर वापस आ गए।लेकिन अब सरकारें इस शहीद के परिवार को भूल गई हैं।जहां बीते गुरूवार को पूरा देश कारगिल के शहीदों के लिए विजय दिवस मना रहा था। वहीं देवभूमि के राजधानी में इस शहीद के परिजनों से मिलने सरकार का एक भी नुमाइंदा नही आया।

मेजर विवेक गुप्ता की पत्नी जयश्री गु्ता भी सेना में मेडिकल कोर में कार्यरत थी

मेजर विवेक गुप्ता की शहादत पर जब उनका पार्थिव शरीर नई दिल्ली लाया गया था। तब पूरा देश और मीडिया वहां मौजूद था।वैसे तो शहीद अफसर का पूरा परिवार मौजूद था लेकिन उसकी शहादत पर लोगों और मीडिया के बीच उसकी वो पत्नी भी आई जिनसे उसे तलाक देने की अर्जी कोर्ट में दी थी।पत्नी जयश्री गुप्ता भी सेना में मेडिकल कोर में कार्यरत थी।

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सम्मान पाने के लिए पिता ने पत्र लिखा तो जबाव का इंतजार आज तक हो रहा है

कैप्टन जयश्री ने सेना के वर्दी में अपने वीर पति को अंतिम सैल्यूट किया था।मीडिया में वो फोटोग्राफ आजतक दिखाए जाते हैं कि वीर की वीरागंनाए कैसी होती हैं।लेकिन आज हम आपको बताते हैं उस वीरागंना का सच जिसे आप सुनकर दंग रह जाएंगे।ना सरकार पूछती है ना बेटे की शहादत पर सम्मान मिला। सम्मान पाने के लिए पिता ने पत्र लिखा तो जबाव का इंतजार आज तक हो रहा है।जिस बेटे की पत्नी को सम्मान मिला वो तो सम्मान के साथ मिलने वाले सभी लाभों को लेकर गायब है।

मेजर विवेक ने युद्ध पर जाते वक्त एक विल लिखा था जो कि हर सैनिक वॉर पर लिखता है

जबकि मेजर विवेक और कैप्टन जयश्री गुप्ता के बीच तलाक का केस चल रहा था।दोनों अलग-अलग रह रहे थे।मेजर विवेक ने युद्ध पर जाते वक्त एक विल लिखा था जो कि हर सैनिक वॉर पर लिखता है।जिसमे उसने साफतौर पर अपनी पत्नी को किसी तरह का कोई भी लाभ ना देने का जिक्र किया था।लेकिन देश के अंधे कानून का सहारा लेकर वो पत्नी शहीद की विधवा औऱ वीरागंना बनी लेकिन शहीद के परिवार को सम्मान लेने के बाद कभी देखना मुनासिब नहीं समझा।

Piyush Shukla शहीद की शहादत का बना दिया सिस्टम ने मजाक, पिता को आज भी सम्मान की दरकार

अजस्र पीयूष

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