आगामी लोकसभा चुनावों में सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यसमिति के मंथन का दूसरा है।बैठक में पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी नेताओं को 2014 से एक सीट ज्यादा जीतने का संकल्प दिलाया। मीटिंग में अमित शाह ने राज्य के पार्टी नेताओं से कहा कि महागठबंधन से घबराने की जरूरत नहीं है।शाह ने उनसे कहा कि आप मोदी और योगी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच लेकर जाएं।
2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपने सहयोगी ‘अपना दल’ के साथ मिलकर 73 सीट जीती थीं
खबर के मुताबिक अमित शाह ने प्रदेश कार्यसमिति के नेताओं से कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 73 से एक सीट ज्यादा यानी 74 सीटों पर जीत दर्ज करनी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपने सहयोगी ‘अपना दल’ के साथ मिलकर 73 सीट जीती थीं।बता दें कि मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का बड़ा केंद्र है।जहां 21 साल बाद प्रदेश कार्यसमिति का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले कानपुर, मिर्जापुर, चित्रकूट और लखनऊ में प्रदेश कार्यसमिति बैठक हो चुकी है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन से 2014 और 2017 जैसी कामयाबी फिर से हासिल की जा सके
मेरठ में होने वाली इस बैठक में बीजेपी हाल के दिनों में हुए उपचुनावों में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से मिली हार के बाद इस तिकड़ी को मात देने के लिए आगे की रणनीति तैयार की गई। जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन से 2014 और 2017 जैसी कामयाबी फिर से हासिल की जा सके।पश्चिमी यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मेरठ, मुजफ्फरगर, मुरादाबाद, अलीगढ़, संभल, एटा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां 2014 में बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन गैर-बीजेपी दलों का वोट बीजेपी से ज्यादा था।
सीट पर 51 फीसदी वोट के लक्ष्य को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति तैयार करनी होगी
अब इन दलों के एक साथ आ जाने से बीजेपी को नुकसान होने का खतरा है।लिहाजा बीजेपी की नजर 18 साल पूरा कर पहली बार मतदान करने वाले युवाओं पर टिकी है।रणनीतिकारों का मानना है कि जिस तरह 2014 और 2017 में युवाओं के बल पर बीजेपी सत्ता में आई ।उसी तरह इस बार भी उनको जोड़ने में पार्टी को जोर लगाना होगा। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि संयुक्त विपक्ष के सपा-बसपा-कांग्रेस-रालोद गठबंधन को मात देने के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं को किसी भी हाल में हर सीट पर 51 फीसदी वोट के लक्ष्य को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति तैयार करनी होगी।प्रदेश की तकरीबन 46 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सपा-बसपा कांग्रेस-रालोद के वोट जोड़ने पर बीजेपी से ज्यादा है यही बीजेपी के उत्तर प्रदेश में जीत की सबसे बड़ी चिंता है।
महेश कुमार यदुवंशी