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क्या 10% आरक्षण कोटा वाले ‘गरीब सामान्य वर्ग’ के अवसर सीमित हो जाएंगे

10 आरक्षण में सीमित रह जाएंगे सवर्ण क्या 10% आरक्षण कोटा वाले 'गरीब सामान्य वर्ग' के अवसर सीमित हो जाएंगे

केंद्र की मोदी सरकार के सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल है कि क्या दस फीसदी का आरक्षण लेने वाले वर्ग का कैंडिडेट ऊपरी मेरिट में आने पर अनारक्ष‍ित श्रेणी में आएगा या नहीं..? आरक्षण के जानकारों के के मुताबिक सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए अवसर एक-चौथाई हो जाएंगे। क्योंकि वह दस फीसदी तक सीमित हो जाएगा और बाकी 40 फीसदी अनारक्षित श्रेणी में उसे जगह नहीं मिलेगी। हालांकि यह बात कितनी सच है इसका कोई खास प्रमाण नहीं है।

 

10 आरक्षण में सीमित रह जाएंगे सवर्ण क्या 10% आरक्षण कोटा वाले 'गरीब सामान्य वर्ग' के अवसर सीमित हो जाएंगे
क्या 10% आरक्षण कोटा वाले ‘गरीब सामान्य वर्ग’ के अवसर सीमित हो जाएंगे

इसे भी पढ़ेंःBJP प्रदेश मीडिया प्रमुख ने मोदी सरकार के 10 % आरक्षण के फैसले की सराहना की

मालूम हो कि अभी तक जो परंपरा रही है उसके मुताबिक एससी/एसटी या ओबीसी वर्ग का कोई कैंडिडेट यदि सामान्य की मेरिट में आता है तो उसे सामान्य वर्ग की नौकरी में शामिल कर लिया जाता है। उसकों आरक्ष‍ित कैंडिडेट नहीं माना जाता। इसके लिए एक शर्त है कि उसने अपने आरक्ष‍ित श्रेणी में आयु सीमा जैसी कोई रिलैक्सेशन यानी छूट न ली हो। अगर उक्त आधार माना जाए तो (गरीब आरक्षण) की श्रेणी सामान्य वर्ग का कैंडिडेट उच्च मेरिट में आने पर अनारक्ष‍ित श्रेणी में आ सकता है।

दीपा ई.वी बनाम भारत सरकार मामला

आरक्षण कोटा के तहत आवेदन करने वाले कैंडिडेट के सामान्य वर्ग में नौकरी पाने के बारे में दीपा ई.वी बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नजीर माना जाता है। आपको बता दें कि दीपा ई.वी. ने ओबीसी कैटेगरी के तहत आवेदन दिया था। जनरल कैटेगरी में परीक्षा के ‘मिनिमम कट ऑफ प्वाइंट’ पर कोई उम्मीदवार पास नहीं हुआ तो दीपा ने यह अपील की कि उसे जनरल कैटेगरी के तहत नौकरी के लिए योग्य माना जाए।सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया।

दीपा ने हाईकोर्ट में इस फ़ैसले को चुनौती दी और हाईकोर्ट में अपील खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की बात मानते हुए दीपा की दलील खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अपीलकर्ता ने ओबीसी कैटेगरी के तहत उम्र में रियायत ली, और इंटरव्यू भी ओबीसी कैटेगरी में ही दिया, इसलिए उसे जनरल कैटेगरी में नौकरी नहीं मिल सकती है।’

टीना डाबी का मामला

आपको बता दें कि सिविल सर्विसेज की टॉपर टीना डाबी के मामले से भी इसे समझा जा सकता है. टीना डॉबी ने सिविल सर्विसेज में टॉप किया था, लेकिन उन्हें एससी कैटेगरी में रखा गया, क्योंकि उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में एससी कैंडिडेट के तहत आवेदन किया था और इसमें कटऑफ का उन्हे लाभ मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, ‘एससी/ एसटी और ओबीसी कैटेगरी से रियायत लेने के बाद ऐसे उम्मीदवारों के लिए जनरल कैटेगरी का लाभ लेने के लिए साफ सीमा तय की गई है।

गौरतलब है कि डिपार्टमेंट ऑफ परसोनेल और ट्रेनिंग का नियम भी साफ है कि एससी/एसटी और ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए रियायत दी जाती है, उम्र की सीमा, अनुभव, योग्यता और लिखित परीक्षा में अवसरों की संख्या में जनरल कैटेगरी की तुलना में ज़्यादा रियायत दी जाती है, ऐसे उम्मीदवार जनरल कैटेगरी के लिए अयोग्य माने जाएंगे।’ लेकिन इसमें  भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आरक्ष‍ित वर्ग के कैंडिडेट को सामान्य वर्ग में शामिल होने पर रोका नहीं जा सकता, बस  उसने अपने कोटा श्रेणी में किसी भी प्रकार का रिलैक्सेशन न लिया हो।

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