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जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

image 2 जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

हिन्दुओ का इक़बाल बुलंद हुआ एक साल में ?,अलगावादियों व् पाक समर्थित पत्थर-बाजो को मुहतोड़ जवाब ,घाटी में अमन कायम करने की राह पर बढ़ते कदम

भारत खबर,जम्मू -कश्मीर से राजेश  विद्यार्थी की खास रिपोर्ट 

जम्मूः जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35.ए हटाए जाने का एक साल पांच अगस्त को पूरा हो रहा है। राजनीतिक उथल.पुथल से भरे इस एक साल को भाजपा ने स्वर्णिम वर्ष कहा है, तो कांग्रेस इसे जम्मू कश्मीर के अस्तित्व मिटाने वाला साल करार दे रही है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35.ए हटाए जाने पर पाकिस्तान ने पांच अगस्त को काला दिवस मनाने की घोषणा की है, वहीं कश्मीर आधारित राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेस. पीडीपीए, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स कांफ्रेंस ने चुप्पी साधी है। भारत विरोधी गतिविधियां और कश्मीर को लेकर किसी भी फैसले पर अक्सर बंद की घोषणा करने वाले अलगाववादी नेताओं ने भी अपना मुंह बंद रखने में ही अपनी भलाई समझी है।

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला ने तो जैसे घर में स्वयं ही अपने आपको नजरबंद कर रखा है और राजनीतिक गतिविधियों को विराम दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज भी चुप हैं। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अभी तक नजरबंद हैं। हुर्रियत कांफंस के मौलवी उमर फारूक, अब्दुल गनी बट व अन्य नेता भी घर में नजरबंद हैं। हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रखर नेता व पूर्व विधायक सैयद अली शाह गिलानी पार्टी छोड़ चुके हैं और राजनीतिक गतिविधियां भी बंद कर दी हैं। पत्थरबाजों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने सख्ती की है औैर पत्थरबाजी की घटनाओं में भी रिकार्ड तोड़ कमी आई है। कुल मिलाकर कश्मीर से सत्ता के खिलाफ उठने वाली विरोध की आवाजें खामोश हैं।

अब ऐसे में केंद्र सरकार पर यह निर्भर करता है कि उसने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जिस बदलाव के सपने दिखाए थेए उसको पूरा करने के लिए अनुकूल माहौल बना है। अब यह उस पर निर्भर करता है कि वह अपने वादों या दावों को सच साबित करने के लिए कितना प्रयास करती है। वैसे सत्ता के गलियारों में दखल रखने वालों की मानें तो कोराना महामारी के कारण विकास कार्य धीमे हुए हैं लेकिन प्रशासनिक तौर पर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते रहे। अगले साल उम्मीद जताई जा रही है कि विकास कार्यों में तेजी आएगी और आर्थिक विकास भी होगा। मल्टी नेशनल कंपनियां भी अपने उद्योग केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में लगाने की उम्मीद जताई जा रही है।

महत्वपूर्ण बदलाव और प्रशासनिक फैसले

  • जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा खत्म
  • केंद्र के करीब 800 कानून राज्य में लागू हुए
  • आतंकियों के आश्रितों को स्कॉलरशिप बढ़ाने का प्रस्ताव रद हुआ
  • राज्य में डोमिसाइल कानून लागू हुआ
  • पिछले तीन महीने में आतंकी कमांडरों सहित 330 आतंकी मारे गए
  • अवैध तरीके से नौ लाख कनाल जमीन की राजस्व रिकार्ड में एंटी रद की गई
  • कश्मीरी पंडित संपत्ति संशोधन एक्ट लागू किया गया
  • सेना को फायरिंग रेंज के लिए राज्य में कहीं भी भूमि अधिग्रहण करने के 51 साल बाद अधिकार बहाल हुए

क्या कहते हैं कांग्रेस प्रवक्ता

Ravinder Sharma congress jammu जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रविंद्र शर्मा का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलकर सदियों पुरानी पहचान और आस्तित्व को समाप्त कर दिया। हिंदुस्तान के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य ने पंडित जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला की वजह से भारत में विलय किया। राज्य के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को चोट पहुंचाई गई है। भाजपा बताए कि एक साल में ऐसा क्या हुआए जिसका लोग जश्न मनाएं। डोमीसाइल लागू करके स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं मिलेगा और बाहरी राज्यों के लोग उनकी नौकिरयों पर कब्जा करेंगे।

युवाओं से नौकरी भी जाएगी और जमीन भी। स्थाई नागरिकता प्रमाणपत्र को रद कर डोमीसाइल लगाकर युवाओं से खिलवाड़ किया गया। भाजपा को भी डर है इसलिए अभी तक 4जी नेटवर्क शुरू नहीं किया गया। आतंकी घटनाओं में कमी आने के दावे भी खोखले साबित हुए हैं। एक साल में बिजली का निजीकरण करने का फैसला लिया गया है। एडिशनल सचिव स्तर के अधिकारी को एलजी लगा दिया गया। जबकि राज्यपाल के पास अधिक अधिकार होते हैं। असंवैधानिक तरीके से जम्मू कश्मीर के विशेष अधिकार को मिटा दिया गयाए जबकि संसद में इसकी चर्चा होनी चाहिए। कोरोना के बहाने से विकास कार्यों को रोक दिया गया है। भाजपा यह भी बताए कि एक साल में कितने नए उद्योग लगे। विदेशी पूंजी निवेश का क्या हुआ। गोरखाए वाल्मीकि समाजए पाक अधिकृत कश्मीर के रिफ्यूजियों को अधिकार दिलाने के लिए कांग्रेस पहले से ही संघर्ष कर रही थीए उनकी मांग पूरी हुई है।

जम्मू के भी कण कण में राम

 क्या कहते हैं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

Ravinder Raina BJP जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैणा ने पांच अगस्त के दिन पर्व मनाने की घोषणा की है। उनके अनुसार जम्मू कश्मीर भारत का अटूट अंग है। एक साजिश के तहत अनुच्छेद 370 को लागू करके जम्मू कश्मीर को अलग करने की योजना थी। केंद्र सरकार ने इसे रद करके पाकिस्तानए आतंकवादियोंए अलगाववादियों को करारा जवाब दिया है। भारत के खिलाफ जहर उगलने वाली ताकतों के मुंह पर तमाचा मारा गया है। एक साल में केंद्रीय कानून की सत्ता चलाने का भरपूर प्रयास किया गया है। कई सामाजिक आर्थिक विकास की नींव रखी गई है और जिन अधिकारों से लोग वचित थेए कश्मीरी  सत्ता का शोषण सह रहे थेए अब उन्हें आजादी मिल गई है। पांच अगस्त 2019 इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

क्या कहते हैं राजनीतिक के जानकार

HariOm जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

जम्मू विश्वविद्यालय के कला संकाय के पूर्व डीन प्रो हरिओम के अनुसार अनुच्छेद 370 और 35.ए में दिए गए विषेष अधिकारों को रद करने की मांग काफी पुरानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा और स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया। अब राज्य से बाहर ब्याही गई लड़कियों को भी एक समान अधिकार होंगे और वह अपनी संपत्ति राज्य में खरीद सकती हैं। उनके बच्चे भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करके अपना अधिकार पा सकते हैं। कई साल से नागरिकता और मतदान करने के अधिकारों से वंचित पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर से विस्थापित हुए नागरिकों को अधिकार प्राप्त हो गए हैं। अब वह भी विधानसभा चुनाव में भाग ले सकते हैं और अपना मत भी डाल सकते हैं।

क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता

जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के चैयरमेन अजात जंवाल के अनुसार जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35.ए हटने के बाद यह देश का अटूट अंग बना। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की साजिशों का अंत हो गया। कश्मीर के चंद परिवारों के शोषण से लदाख को आजादी मिल गई और केंद्र शासित प्रदेश बनने की वर्षों पुरानी उसकी मांग पुरी हुई। जम्मू के लोगों को भी राहत मिली और एक संभाग के दूसरे संभाग से भेदभाव करने वाले कश्मीरी राजनेताओं का वर्चस्व समाप्त हो गया। अब दिल्ली से लोगों की उम्मीद बढ़ी है। राज्य में चैतरफा विकास होगा।

क्या कहता है कश्मीरी पंडितों का संगठन पनुन कश्मीर

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कश्मीरी पडितों के संगठन पनुन कश्मीर के चेयरमैन डा. अजय चरंगू के अनुसार कश्मीर से एक समुदाय विशेष ने पडितों पर अत्याचार किए। पंडितों को अपने ही घर से विस्थापित होना पड़ा। उनकी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया। अनुच्छेद 370 और 35.ए हटाए जाने के बाद जो अलगाववादी प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर रहे थे,उन पर रोक लग पाई है। वर्ष 1990 में राज्य से बाहर  विस्थापित हो चुके कश्मीरी पंडितों को डोमिसाइल के तहत वापसी के अधिकार प्राप्त हुए हैं। अलगाववादी और सांप्र्रदायिक ताकतों पर शिकंजा कसा गया है और कई आतंकियों को मार गिराया गया। अब राज्य भारत का अटूट अंग है और पैन इस्लामिक एजेंडा व पाक द्वारा छेडे़ गए छदम युद्ध को केंद्र सीधे तौर पर करारा जवाब दे सकेगा।

अनुच्छेद 370 खत्म करते ही राजनीति एवं कूटनीति से दबा दिए गए विरोधी सुर

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35.ए हटाए जाने की सूचना जम्मू कश्मीर में सत्ता में रह चुकी पार्टियों को तीन अगस्त को ही लग गई थी। इसका विरोध करने वाले राजनेताओं ने अपना वर्चस्व छिन जाने के डर से गुपकार में महत्वपूर्ण बैठक कर जीने.मरने की धमकी दे डाली। वक्त गुजरने के साथ केंद्र सरकार की सख्ती के कारण इन नेताओं के स्वर भी धीमे पड़ने लगे।

श्रीनगर के गुपकार रोड स्थित पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला के निवास स्थान पर नेशनल कांफ्रेसए पीडीपी के नईम अख्तरए कां्रग्रेस के कई नेता मौजूद रहे। इन नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर केंद्र सरकार के इस मूव का कड़ा विरोध किया। केंद्र सरकार को चेतावनी भी दी कि कश्मीर में आग भड़क के जाएगी। युवा मुख्यधारा से दूर चले जाएंगे। चार अगस्त को जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सफाई पेश की कि ऐसा कुछ भी नहीं है और अनुच्छेद 370 तोड़ने का कोई मूव नहीं है। पांच अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में अनुच्छेद 370 तोड़ने की घोषणा कर दी और राष्ट्रपति ने 35.ए का प्रावधान हटाने का अध्यादेश जारी कर दिया। जम्मू कश्मीर राज्य का स्वरूप बदलकर दो केंद्र शासित  प्रदेशों में .यूटी. में बदल दिया गया। जम्मू कश्मीर यूटी और लदाख यूटी।

कांग्रेस नेशनल कांफ्रेस व अन्य राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध जताया। प्रशासन ने अगले ही दिन धारा 144 सीआरपीसी लगाकर राज्य में सक्रिय राजनीतिक दलों के नेताओं पीडीपी अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्तीए नेकां के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाए कांग्रेस के प्रदेश् अध्यक्ष गुलाम हसन मीरए पूर्व केंद्रीय मत्री सैफुद्दीन सोजए अलगाववादी नेता हुर्रियत कांफ्रेंस के सैयद अली शाह गिलानीए मौलवी उमर फारूकए गुलाम नबी भटए प्रतिबंधित जेकेएलएफ के पूर्व अध्यक्ष यासीन मलिकए शब्बीर शाह सहित 223 नेताओं को नजरबंद कर दिया। अगले ही दिन पूरे कश्मीर में कड़ी सुरक्षा तैनात कर दी गई और 100 अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई।

अमरनाथ यात्रा सस्पेंड कर दी गई और हवाई जहाज से पर्यटकों को सुरक्षित घाटी से निकाला गया। संचार व्यवस्था ठप कर दी गई। कश्मीरियों पर कथित अत्याचार की सूचनाएं मिलने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी दलों के नौ नेताओं के साथ श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचेए लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस लौटना पड़ा। केंद्र ने जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग की पांच सदसीय टीम को घाटी में मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए भेजा। सभी राजनीतिकए सामाजिक एवं धार्मिक सगठनों से बातचीत के लिए अक्तूबर महीने में 28 सदसीय यूरोपीयन प्रतिनिधिमंडल भी कश्मीर पहुंचा। राजनीति एवं कूटनीति से विरोधी स्वरों को चुप करा दिया गया।

काम पूरा होते ही सत्यपाल मलिक का गोवा तबादला,मुर्मू ने आते ही किए बड़े बदलाव

satpal malik जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश   gc murmu जम्मू कश्मीर में विरोध की आवाजें खामोश

जम्मू कश्मीर के विशेषा अधिकार समाप्त किए जाने के बाद 31 अक्तूबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक का गोवा तबादला कर दिया गया और आइएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मूर्मू ने एलजी का कार्यभार संभाल लिया। एलजी ने सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रशासनिक तौर पर एलजी का कार्यकाल मिला जुला रहाए हालांकि सबसे बड़ा आदेश दिया गया कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया गया तो उसे नौकरी से निष्कासित कर दिया जाएगा।

कश्मीर से अतिक्रमण हटाने का प्रक्रिया शुरू की गई। जम्मू से भी अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारियां कर ली गई हैं। एयरफोर्स स्टेशन स्थापित करने के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में आ  अड़चनों को दूर किया गया। सेना को पहले फायरिंग टे्रनिंग के लिए राजस्थान जाना पड़ता था। अब सेना को अधिकार दिए गए कि वह कहीं भी जमीन अधिग्रहण करके फायरिंग रेंज तैयार कर सकती है। कश्मीरी भाषा को पहले उर्दू में लिखा जाता थाए एलजी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कश्मीरी भाषा को देवनागरी और शारदा लीपि में लिखे जाने का प्रस्ताव मंजूर किया। डोमिसाइल फार्म में औपचारिकताएं लगातार बदले जाने पर रोक लगाई और अध्यादेश जारी किया कि वर्ष 1944 या उसके बाद का किसी के पास कोई वैध दस्तावेज है, उसे मान्यता दी जाएगी।

इसके कारण तीन पीढ़ियों को डोमिसाइल का लाभ मिलेगा। पहली बार जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशनए जम्मू कश्मीर बैंक के चैयरमेन हिंदू बने जम्मू कश्मीर शिक्षा बोर्ड में भी चेयरमैन और सचिव हिंदू बनाए गए। हांलाकि विकास कार्यों में सुस्ती, कोरोना से निपटने की तैयारियों पर लगातार समीक्षा नहीं की जा रही है। सरकार की तरफ से लोगों को गरीबों के लिए अतिरिक्त राशन और आर्थिक मदद नहीं दिए जाने से एलजी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर बैंक में नियुक्तियों की सूची को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रद कर दिया था। इस सूची में जम्मू के अधिक युवा शामिल थे। इस सूची को बहाल करने का फैसला एलजी ले सकते थे। एलजी द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने पर युवाओं में रोष व्याप्त है।

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