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जम्मू के भी कण कण में राम

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सूर्यवंशी भगवान राम जम्मू के भी कण कण में बसे हुए हैं।

भारत खबर,जम्मू -कश्मीर से राजेश  विद्यार्थी की खास रिपोर्ट 

जम्मू कश्मीर। अयोध्या में पांच अगस्त को भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास हो रहा है। सूर्यवंशी भगवान राम जम्मू के भी कण कण में बसे हुए हैं। जम्मू कटरा में श्री वैष्णों देेवी भी त्रिकुटा पहाड़ियों में स्थित एक गुफा में विष्णु अवतार भगवान राम का कलयुग में ’कलगी’ अवतार का इंतजार कर रही हैं। जम्मू कश्मीर के महाराजा भी सूर्यवंशी हैं। जिसके कारण भगवान राम जम्मू के लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

जम्मू कश्मीर के महाराजा ने भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के कई मंदिरों का निर्माण कराया। सबसे प्रमुख मंदिर जम्मू स्थित रघुनाथ मंदिर है। इस मंदिर में 33 करोड़़ देवी देवताओं और शालीग्राम के मंदिर हैं। आरएसपुरा भारत पाक सीमा पर सुचेतगढ में भगवान राम का ही रघुनाथ मंदिर स्थित है। इसके अलावा पुरमंडल में रामेश्वर मंदिर, रामबन, नौशेरा, पुरानी मंडी जम्मू में राम सीता मंदिर, सूई बुर्ज में राम मंदिर, हालांकि इस मंदिर को 1947 में लूट लिया गया था। हीरानगर के राजपूरा, अखनूर के टांडा, मां गंगा की बडी बहन देविका किनारे उत्तर बहनी में 11 रूद्र और भगवान राम जी का मंदिर एतिहासिक है। अधिकतर मंदिरों का निर्माण तत्कालीन महाराजा रणबीर सिंह ने 19 वीं शताब्दी में कराया़।

वैष्णों देवी को राम के कलयुग में अवतार का इंतजार

वैष्णो देवी

जम्मू कश्मीर। जम्मू के लोगों की आस्था इसलिए भी भगवान राम के प्रति है। क्योंकि श्री माता वैष्णों देवी साक्षात रूप से त्रकुटा पर्वत में एक गुफां में विराजमान है। त्रेता युग में भगवान राम जब लंका जा रहे थे तो रामेश्वरम में उनकी मुलाकात नौ वर्षीय कन्या त्रिकुटा से हुई; त्रिकुटा भगवान राम को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। भगवान राम ने कहा कि इस युग में उन्होंने एक ही पत्नी का सकल्प लिया है; लंका फतह के बाद जब वह लौटगें तो वह उससे दोबारा मिलेंगे। वापस लौटने पर त्रिकुटा भगवान राम को नहीं पहचान पाई। भगवान राम ने कन्या को कहा कलयुग में वह ’कलगी’ अवतार लेकर आएंगे। तब वह उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे। त्रिकुटा को कटड़ा स्थित त्रिकुटा की पहाड़ियों में एक गुफा में रहकर इंतजार करने के लिए कहा। जहां मां सरस्वती, मा काली और लक्ष्मी की प्राकृतिक पींढियां मौजूद हैं। किमदंती है कि माता वैष्णो देवी कलयुग में भी साक्षात देवी के रूप में विद्यमान है और हनुमान जी उनकी रक्षा कर रहे हैं। हर भक्त की मनोकामना माता के दरबार पहुंचकर पूरी हो जाती है।

सूर्यवंशी महाराजा ने तिब्बत तक फैलाया राज्य

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जम्मू कश्मीर।

अखनूर में चिनाब ‘चंद्रभागा‘ नदी किनारे जिया पोता घाट पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने जम्मू कश्मीर के पहले सूर्यवंशी महाराजा गुलाब सिंह का 17 जूून 1822 को राजतिलक किया। इसके उपरांत महाराजा गुलाब सिंह ने जम्मू कश्मीर की सीमाओं का विस्तार तिब्बत तक किया; जम्मू की 22 रियासतों को जीता। कश्मीर को ब्रिटिश सरकार से 75 लाख नानक शाही रूपये में खरीदा और लदाख को विजय किया। स्कर्दू, गिलगित, बालतिस्तान, एक्साई चिन को फतह करके अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, चीन, तिब्बत तक अपनी सीमाओं का विस्तार किया। अखंड जम्मू कश्मीर की नींव रखकर राज्य राजस्व रिकार्ड में नाम जम्मू कश्मीर व तिब्बत आदि रखा। जो 1947 में बदलकर जम्मू कश्मीर कर दिया गया। ब्रिटिश राज के दौरान जम्मू कश्मीर देश का दूसरा बड़़ा राज्य बन गया। महाराजा गुलाब सिह की मंशा थी कि वह सिल्क रूट पर कब्जा करके अन्य देशों से व्यापारिक संबंध बनाएं। हालांकि 1947 में हुए बटवारे में राज्य के दो तिहाई भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लियां। इस भाग को लेकर अब भी भारत का पाकिस्तान और चीन से विवाद चल रहा है।

राम मंदिर पर खुशी जताई

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जम्मू; महाराजा गुलाब सिंह के वंशज व डा कर्ण सिंह के पुत्र महाराज कुवंर अजात शत्रु सिंह अयोध्या में भगवान राम मंदिर के शिलान्यास पर खुशी जाहिर कीं। उनके अनुसार वह भी भगवान राम के वंशज हैं और सूर्यवशी हैं। त्रेता युग में अश्वमेध यज्ञ करके भगवान राम ने अखंड भारत की स्थापना की। वहीं, कलयुग में ब्रिटिश राज के दौरान उनके वंशजों ने अखंड जम्मू कश्मीर की स्थापना की है। जम्मू के लोगों का भगवान राम के प्रति पूर्ण आस्था है।

रामनवमी पर होता है महोत्सव

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जम्मू; पुरानी मंडी में राम मंदिर के महंत रामेश्वर दास के अनुसार साल में दो नवरात्र आते हैं। इन नवरात्रों में माता वैष्णो देवी के दरबार में काफी. भीड़ होती है। भगवान राम के प्रति आस्था लोगों में अपरमपार है। अयोध्या में भगवान राम के शिलान्यास के दौरान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

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