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एससी/एसटी एक्ट में दाखिल पुर्विचार याचिका पर 3 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

229053 supreme court एससी/एसटी एक्ट में दाखिल पुर्विचार याचिका पर 3 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट 3 मई को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) एक्ट पर पुनर्विचार करने जा रहा है। याचिका में एक्ट के खिलाफ कोर्ट के फैसले पर पुन: विचार करने की मांग की गई थी। बता दें कि कोर्च के फैसले के बाद देश के कई हिस्सों में दलित संगठनों ने भारत बंद का एलान किया था। इस दौरान कई जगहों पर हिंसात्मक प्रदर्शन भी किए गए थे।

 

229053 supreme court एससी/एसटी एक्ट में दाखिल पुर्विचार याचिका पर 3 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने इस मामले में पहले ही अपनी लिखित दलीलें दाखिल कर दी हैं।

वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, आपके आखिरी आदेश की अंतिम पंक्ति कहती है कि लिखित दलीलें दाखिल होने के बाद मामले को सूचीबद्ध करें। मैंने लिखित दलीलें दाखिल कर दी हैं। चार राज्यों ने भी पुनर्विचार याचिका दायर की है। कृपया हमें तारीख दें। एससी/एसटी कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगाने के आदेश पर पुनर्विचार की मांग करते हुए केंद्र ने दो अप्रैल को शीर्ष न्यायालय का रूख किया था।

 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि एससी/एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी उससे पहले मामले की पूरी जांच की जाए। इसका दलित संगठनों की ओर से विरोध भी किया गया। इससे पहले भी दायर की गई पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में भी कोर्ट ने कहा था कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश नहीं पढ़ा है और शीर्ष अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से नाराज दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। जिसमें यूपी के कई हिस्सों में हिंसा के कई मामले सामने आए थे। यूपी के अलावा बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश व कई राज्यों में प्रदर्शनकारी उग्र हो गए थे।

 

वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने बीजेपी को दलित विरोधी करार दे दिया था। जिस पर विरोध प्रदर्शन के चलते सवालों के घेरे में खड़ी मोदी सरकार ने विपक्षी पार्टियों पर इस मुद्दे पर राजनीति न करने की नसीहत दी थी।। पीएम ने कहा था कि आंबेडकर को राजनीति में घसीटने के बदले उनके दिखाए रास्ते पर चलने की जरूरत है। पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान संविधान निर्माता आंबेडकर के नाम पर सिर्फ राजनीति की गई। पीएम ने वाजपेयी सरकार के आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना की योजना को यूपीए सरकार द्वारा ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाया।

 

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