आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है।भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं। किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे,जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था।उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।लेकिन इस बार की गुरू पूर्णिमा 18 साल बाद कुछ खास संयोग लेकर आई है।
गुरू पूर्णिमा के दिन 27 जुलाई को 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है
बता दें कि इस बार गुरू पूर्णिमा के दिन 27 जुलाई को 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। ये चंद्र ग्रहण लगभग चार घंटे रहेगा। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा और इसे बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक 27 जुलाई को रात 11 बजकर 54 मिनट 02 दो सेकेंड पर होगी।
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गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
चंद्र ग्रहण 28 जुलाई को सुबह 3:49 बजे समाप्त होगा।इस चंद्र ग्रहण में चंद्रमा लाल रंग का दिखेगा। जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है।इस बार गुरू पूर्णिमा की तिथि 26 जुलाई 2018 की रात 11 बजकर 16 मिनट से गुरु पूर्णिमा की तिथि शुरू हो जाएगी।जो 27 जुलाई 2018 की रात 01 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।
कैसे करें गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान ध्यान / पूजा पाठ
मालूम हो कि गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं।अगर संभव को हो गुरूदेव के घर जाकर उनका पूजन करें।इसके साथ ही उनका आशीर्वाद लें।
गुरू पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास से जुड़ा है
महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे,जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी।कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था।उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है