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मुजफ्फरनगर शहर की ऊंची इमारतों से होने लगे हिमालय की बर्फ से ढ़की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के दर्शन

हिमालय मुजफ्फरनगर शहर की ऊंची इमारतों से होने लगे हिमालय की बर्फ से ढ़की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के दर्शन

मुजफ्फरनगर। इस वक्त जो शहर कभी प्रदूषण से ढके रहते थे अब वो आसमान की तरह इक दम साफ दिखाई दे रहे हैं और इनमें से एक शहर है मुजफ्फरनगर जहां लोग कभी प्रदूषण के कारण घुटते थे अब यहां लोग चेन की सांस ले रहे हैं। इसे लॉकडाउन का एक सकारात्मक पहलू कहा जा सकता है। सुबह-शाम सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मीरापुर की हैदरपुर वेटलैंड से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों का दीदार हो रहा है। तड़के पौ फटने पर तो मुजफ्फरनगर शहर की ऊंची इमारतों से भी शिवालिक पर्वत श्रृंखला के दर्शन होने लगे हैं।

बता दें कि 1986 में सेवानिवृत्त और मुजफ्फरनगर के बाशिंदे रिटायर्ड आइजी एएन कौल की लिखी किताब जाने कहां गए वो दिन में भी किसी जमाने में मुजफ्फरनगर की धरती से हिमालय पर्वत दिखने का उल्लेख है। कौल साहब के मुताबिक, बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों तक मुजफ्फरनगर में प्रदूषण लगभग शून्य था। तीसरे-चौथे दशक तक वर्षा ऋतु के बाद हिमालय की शिवालिक श्रृंखला की बर्फ से ढकी चोटियां यहां से साफ दिखती थीं। वह बताते हैं कि अब शायद एकाध शख्स ही बचा होगा, जिसे वह मनोरम दृश्य याद हो।

वहीं  शिवालिक पर्वत श्रृंखला को बाह्य हिमालय भी कहा जाता है। यह हिमालय की दक्षिणतम और भूगर्भ शास्त्रीय दृष्टि से कनिष्ठतम पर्वतमाला कड़ी है, जो पश्चिम से पूरब तक फैली है। इसकी ऊंचाई 850 से 1200 मीटर है। इसके पूर्व में 1600 किमी तक तिस्ता नदी, सिक्किम से पश्चिमवर्त नेपाल और उत्तराखंड से कश्मीर होते हुए उत्तरी पाकिस्तान तक जाते हैं। पड़ोसी जनपद सहारनपुर से उत्तराखंड के देहरादून और मसूरी के पर्वतों पर जाने के लिए सड़क मोहन र्दे से गुजरती है। शिवालिक पर्वत श्रेणियों में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें शिमला, चंडीगढ़, पंचकूला मोरनी पहाड़ियां, नैना देवी, पौंटा साहिब आदि बद्री यमुनानगर, कलेसर नेशनल पार्क, सहारनपुर की शाकंभरी देवी, त्रिलोकपुर मां बाला सुंदरी मंदिर, हथिनीकुंड बैराज, आनंदपुर साहिब आदि प्रसिद्ध हैं।

हिमालय. 2 मुजफ्फरनगर शहर की ऊंची इमारतों से होने लगे हिमालय की बर्फ से ढ़की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के दर्शन

साथ ही हैदरपुर वेटलैंड से हिमालय की चोटियां दिखने का बड़ा कारण प्रदूषण का न के बराबर होना है। इसी साल 27 जनवरी को वायु प्रदूषण की स्थिति सबसे ज्यादा 383 रही। सामान्य दिनों में एक्यूआइ 200 से 250 रहता है जबकि, फिलहाल 100 से नीचे हैं।

वहीं पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन व कूड़ा, पराली जलने से बढ़ता है। इंसान का बाल लगभग 100 माइक्रोमीटर का होता है, इसकी चौड़ाई पर पीएम 2.5 के करीब 40 कणों को रखा जा सकता है।

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