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उत्तर प्रदेशः अपनी बदहाली पर आंसू बहाती ऐतिहासिक झील

उत्तर प्रदेशः अपनी बदहाली पर आंसू बहाती ऐतिहासिक झील

उत्तर प्रदेशः फतेहपुर जनपद की यह झील अंग्रेजों के शासन  से लेकर आज तक किसी न किसी रूप में ऐतिहासिक सुर्खियों में अपनी जगह  बनाये रही हैं। आज हम आप को इस पिछड़े जनपद की ऐसी झील के बारे में बता  रहे हैं। जिस झील ने आठ किलो मीटर के दायरे में अपनी पहचान मौजूदगी दिखा रही है। इस झील में विदेशी पंक्षी आकर बसेरा करते थे जो की यहां का आकर्षण होता था। लोग दूर-दूर से इस झील को देखने आते थे। मगर आज यह अपनी पहचान खोती जा रही हैं। गौरतलब है कि यह झील फतेहपुर जिले के फ़रसी गांव में स्थिति हैं।

 

उत्तर प्रदेशः अपनी बदहाली पर आंसू बहाती ऐतिहासिक झील
उत्तर प्रदेशः अपनी बदहाली पर आंसू बहाती ऐतिहासिक झील

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उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के हुसैन गंज थाना क्षेत्र के फ़रसी गांव जहां पर आठ किलो मीटर के दायरे में यह झील हैं। इस झील में कभी विदेशी पंक्षी बनवास करते थे। इस झील में  विदेशी पंक्षियों को देखने के लिए जनपद और गैर जनपद के लोगों का ताता लगा रहता था। लेकिन आज यह अपनी पहचान धीरे धीरे खोती जा रही हैं। आज इस झील की अनदेखी के चलते पानी के ऊपर जल कुम्भी बड़ी मात्रा में देखी जा सकती हैं। जल कुम्भी ने अपनी जड़े पूरी झील में फैला रखी हैं। अब न ही लोग यहां पर आते हैं और न ही विदेशी पंक्षी ,जब की इस झील का इतिहास ससुर खरेदी नदी से जोड़ कर बताया जाता हैं जो की अपने आप खुद इतिहास हैं पहचान की जरुरत नहीं है।

 

इस झील का इतिहास ससुर खरेदी नदी से
इस झील का इतिहास ससुर खरेदी नदी से

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झील के जिर्णोद्वार के बारे में जब वहां के प्रधान से बात की गयी तो उन्होंने बताया की हमने भी सर्वे किया यही गूगल में या नक़्शे में हमें कही नहीं दिखाई दिया यहां बड़े-बड़े अधिकारी आये, यहां तक की प्रदेश सरकार से भी यहां का पानी और मिटटी ले गए यह बार बार बताते रहे की इसका सुंदरी कारण होगा। पंक्षी बिहार बन रहा हैं मगर आज तक यहां कोई काम नहीं हुया।

सर्वे में आठ किलो मीटर यह झील हैं। जब की जिले की सब से बड़ी झील हैं ,अगर इसका विस्तार से सुंदरी कारण हो जाय तो यह पर्यटन स्थल बन सकता हैं। यहां पर हर तरह के विदेशी पंक्षी आते थे मगर  यहां पर दो नाले बना दिए गए हैं इसका पानी गंगा में चला जाता हैं जिसकी कारण यहां चिड़िया नहीं आती आये अधिकारियों ने बताया की इसका पैसा पास हो गया हैं। स्वामी विज्ञानंद महाराज यहां पर आये उन्होंने लोगों के साथ 6-7 किलोमीटर पैदल चलकर बताया कि यह ससुर खरेदी नदी की उत्तम स्थली हैं और इसका विकास होना जरुरी हैं।

मुमताज़ अहमद

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