गोरखपुर: केंद्र की मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए पूर्वांचल के कई कद्दावर नेताओं का नाम था। गोरखपुर क्षेत्र के निषाद पार्टी की बात करें तो यह पिछले दिनों उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक काफी चर्चाओं में थी। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चर्चाओं में बने रहने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं, इसीलिए अपने परिवार के साथ लगभग एक हफ्ते तक दिल्ली में डेरा डाले हुए थे।
वह दिल्ली के आलाकमान नेताओं के पास मिलते रहे और 2022 में भाजपा के समर्थन में अपनी सारी रणनीति प्रस्तुत की। वैसे इनसे पूछे जाने पर तो इनका हर जगह यही एक जवाब रहता था कि पहले आरक्षण हमको चाहिए और हम आरक्षण की ही बात दिल्ली करने गए थे, लेकिन जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और उनके पुत्र का नाम नहीं है, तब दबी जुबान में कहने लगे हैं कि पार्टी के साथ मैं हमेशा रहूंगा क्योंकि हम को आरक्षण मोदी और योगी के अलावा कोई और व्यक्ति नहीं दिला सकता।
भाजपा का साथ हम नहीं छोड़ेंगे: डॉ. संजय निषाद
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने बताया कि, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम आरक्षण के मुद्दे को ही लेकर चलते हैं। हमारी प्राथमिकता आरक्षण है, हमें मंत्री पद मिले या ना मिले लेकिन हमें आरक्षण जरूर चाहिए। मगर थोड़ा कशमकश जरूर है कि जब अनुप्रिया पटेल जैसी महिला को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं तो निषाद पार्टी जैसी प्रभावशाली पार्टी को क्यों नहीं शामिल किया गया। एक सवाल में उन्होंने यह भी बताया कि, 2022 हो या कुछ भी मैं भाजपा का साथ नहीं छोड़ सकता क्योंकि मुझको आरक्षण मोदी या योगी दिला सकते हैं।
आपको बता दें डॉक्टर संजय निषाद पूर्वांचल में निषाद समाज की लेकर चलने वाले एक बड़े नेता माने जाते थे, लेकिन इधर पांच साल बीत जाने के बाद भी आरक्षण नहीं मिला। और न ही किसी समाज का भला हो पाया, जिससे उनकी छवि थोड़ी धूमिल हुई है। मामला तब और आगे बढ़ जाता है, जब इनके पुत्र संत कबीर नगर के सांसद प्रवीण निषाद भाजपा के साथ ही दिल्ली में अक्सर रहा करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी आरक्षण के मुद्दे चुनाव के समय ही क्यों लोगों को याद आते हैं। यह आरक्षण एक ऐसी गोली है, जो समय-समय पर लोगों को खिलाई जाती है।