अमेरिका के लिए 11 सिंतबर का दिन उस वक्त कभी न भुलाने वाला दिन बन गया जब दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति रखने वाले अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ था। न्यूयॉर्क में आतंकियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को अपना निशाना बनाया था। सुबह 8.46 बजे अपहरणकर्ता आतंकियों ने अमेरिकी विमान संख्या 11 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकरा दिया।
बता दें कि 11 सिंतबर का दिन अमेरिका के लिए भी बिल्कुल वैसे ही शुरू हुआ था जैसे सबके लिए हुआ था। 11 सितंबर का दिन भी बिल्कुल आम दिनों की तरह ही शुरू हुआ था। लेकिन सुबह के 10 बजते-बजते ये दिन दुनिया के इतिहास के सबसे खतरनाक आतंकवादी हमले और वर्ल्ड हार्बल के बाद सबसे खतरनाक हमले के रूप में बदल चुका था। जब न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावर पर 2 विमानों ने टक्कर मारी थी। तो इस हमले में 6,606 लोग मौत के मुंह में पहुंच गए। पेंटागन पर हुए हमले में 206 अन्य लोग और पेंसिलवेनिया में विमान अपहरण की कोशिश विफल में 46 और लोगों की मौत हो गई।
न्यूयॉर्क में बनाए गए 9/11 के मेमोरियल में कुल 2983 लोगों के नाम दर्ज हैं। जिन लोगों की जान चली गई थी। ये कोई पहला आतंकी हमला नहीं था। इससे पहले 1993 में आठ साल 102 मिनट पहले हुए हमले में भी 6 लोगों ने अपनी जान गवा दी थी। मशहूर किताब ‘द ओनली प्लेन इन द स्काई द ओरल हिस्ट्री ऑफ़ 9/11’ में गैरेट एम ग्राफ़ लिखते हैं कि इस हमले में करीब 3 हजार बच्चे यतीम हो गए थे। जिन्होंने अपने माता पिता को खे दिया था। इनमें से कुछ बच्चे वह थे जिन्होंने कभी अपने मां बाप को देखा ही नहीं। अगर मरने वालों का जिक्र खत्म कर दिया जाए तो उस वक्त लाखों लोग ऐसे थे जिनका जीवन पूरी तरह से तहस नहस हो गया था।
बता दें कि लोमहर्षक लिखते हैं कि उस वक्त की वह घटना ऐसी था कि जिसे आज तक भुलाया नहीं जा सका है। लोग आज भी उसके सदमें में जी रहे हैं। इस घटना के डर की एक वजह ये रही कि ये हमला उस जगह हुआ जिसे सबसे सुरक्षित जगह कहा जाता था। इस घटना को अंजाम देने वाले शख्स का नाम मोहम्मद अता था। जिसने इस पूरी घटना की साजिश रची थी। अमेरिका आज तक उस हमले को भुला नहीं पाया है और हर साल उस हमले की बर्सी मनाता है।