नई दिल्ली। राजस्थान में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने है। लेकिन राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों के अदंर स्थिती असामान्य बनी हुई है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हटाए जाने के बाद अभी तक राज्य को नया अध्यक्ष नहीं मिल सका है जिस पर सस्पेंस अभी तक बरकरार है।
38साल में पहली बार खाली कुर्सी
38सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए इंतेजार करना पड़ रहा है। पार्टी के गठन के बाद से कुर्सी खाली नहीं रही है लेकिन पहली बार कुर्सी खाली है और राज्य को अध्यक्ष नहीं मिल पाया है।
अगर राजस्थान में गजेंद्र सिंह शेखावत बने प्रदेश अध्यक्ष तो हार जाएंगे चुनाव
बता दे कि क्रेन्द की ओर से अध्यक्ष पद के लिए जोधपुर से सासंद गजेंद्र सिंह के नाम की चर्चा थी लेकिन वसुंधरा खेमे की ओर से इस नाम पर मुहर नहीं लगाई गई है। विरोधी खेमे की ओर से इस पर तर्क दिया गया कि गजेंद्र सिंह राजपूत समाज के लिए तो उचित चेहरा है पर जाट समुदाय शेखावत का विरोध करता है जिससे जाट समुदाय के वोट कट जायेंगे।
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करीबी होगा अध्यक्ष
बता दे कि अध्यक्ष पद को लेकर वुसंधरा राजे और अमित शाह की दिल्ली में मुलाकात भी हुई थी लेकिन मुलाकात का कोई रंग नहीं निकला। बता दे कि अशोक परनामी राजे के करीबी माने जाते है और इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि राजे अपने किसी करीबी को ही इस पद पर बैठाना चाहती है। फिलहाल कर्नाटक चुनाव तक राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष पद का फैसला टल चुका है क्योकि केन्द्र आने वाले कर्नाटक चुनाव में बिजी है।