अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक के बाद छात्रवृति योजना ‘पीएमएस-एससी’ के अंतर्गत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तय राशि से ऊपर केंद्रीय सहायता पर विचार किया जाता है। पीएमएस-एससी योजना के वर्तमान दिशा निर्देशों के अनुसार नये वित्त आयोग के वार्षिक चक्र में संबंधित राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की निश्चित देनदारी का स्तर पूर्ववर्ती योजना अवधि-वित्त आयोग के चक्र की समाप्ति वर्ष में कुल मांग के बराबर होगा।
योजना अवधि-वित्त आयोग के चक्र में पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में की गई सर्वाधिक मांग को निश्चित देनदारी की गणना के उद्देश्य से मांग समझा जाएगा
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राज्य ने समाप्ति वर्ष में केंद्र से कोई मांग नहीं की हो या राज्य द्वारा की गई मांग योजना अवधि-वित्त आयोग के चक्र के पहले वर्षों की मांग से कम हो। इस मामले में योजना अवधि-वित्त आयोग के चक्र में पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में की गई सर्वाधिक मांग को निश्चित देनदारी की गणना के उद्देश्य से मांग समझा जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों को निश्चित देनदारी से छूट है।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों और अनुचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृति दो अलग-अलग योजनाएं हैं
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों और अनुचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृति दो अलग-अलग योजनाएं हैं। और इनके लक्ष्य समूह भी अलग हैं। समय-समय पर योजना की समीक्षा की जाती हैं। और अंतर-मंत्रालय सलाह, बजट उपलब्धता और सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति केअनुसार इसमें संशोधन किया जाता है।अभी इसकी कोई समय-सीमा निर्दिष्ट नहीं की जा सकती।
मैट्रिक पश्चात छात्रवृति योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा क्रमश- 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत धन साझा किया जाता है
अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृति योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा क्रमश- 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत धन साझा किया जाता है।यह जानकारी आज लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला ने दी।
महेश कुमर यदुवंशी