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बिहारः नीतीश कुमार ने रद्द की केंद्र की फसल बीमा योजना

BBनीतीश बिहारः नीतीश कुमार ने रद्द की केंद्र की फसल बीमा योजना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन की मित्र भारतीय जनता पर्टी की फसल बीमा योजना का बहिष्यकार करते हुए बिहार में नीतीश ने अपनी ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ को लागू किया है। एनडीए की भाजापा भले ही अपनी योजनाओं को महत्वाकांक्षी बताती रहे पर बिहार के सीएम हमेशा इसकी आलोचना ही करते रहे हैं।

 

BBनीतीश बिहारः नीतीश कुमार ने रद्द की केंद्र की फसल बीमा योजना

केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना की आलोचना

केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना के कटु आलोचक जदयू के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को औपचारिक रूप से एनडीए सरकार की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना को रद्द कर दिया है। गौरतलब है नीतीश ने केन्द्र की आलेचना इससे पहले कई मुद्दों को लेकर की है। उन्होंने नेशनल जनतांत्रिक (एनडीए) गठबंधन में रहते हुए भी मोदी पर आरोप लगाया था कि केंद्र की मोदी सरकार बिहार की अनदेखी कर रही है। उनेहोंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। और आपदा राहत पैकेज को लेकर भी नीतीश के बगावती तेबर देखने को मिले है।

किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार गंभीर- केंद्रीय मंत्री

नीतीश की नई योजना

केंद्र की फसल बीमा योजना के बदले नीतीश कुमार ने एक नई योजना लागू की है। जिसमें  किसानों को बिना प्रीमियम अदा किए मुआवजे का प्रावधान है।राज्य सरकार ने बताया कि नई योजना ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ में ‘प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना’ से कवरेज का क्षेत्र बड़ा है। इसमें उन किसानों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने राष्ट्रीय और सहकारी बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लिया है ।

केंद्रीय योजना के तहत राज्य और केंद्र दोनों को प्रीमियम की लागत का 49 प्रतिशत देना होता है। जबकि लाभार्थियों को प्रीमियम के बाकी बचे दो प्रतिशत का भुगतान करना होगा। इस योजना के तहत राज्य सरकारों  को बीमा कंपनियों को कितनी राशि का भुगतान करना है। इसका फैसला केंद्र सरकार करती है। सहकारी विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि 2016 में खरीफ फसल में बिहार ने बतौर अपने हिस्से के प्रीमियम का 495 करोड़ रुपया दिया, जबकि किसानों को फसल क्षति के लिए मुआवजे के रूप में केवल 221 करोड़ रुपये ही मिले।

केंद्र की योजना में किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा

प्रसाद ने बताया कि कोई भी किसान जो इस योजना के तहत पंजीकृत रहेंगे उन्हें प्रीमियम जमा नहीं करना होगा। यदि प्राकृतिक कारणों की वजह से फसलों को पहुंची क्षति मामले में किसान इसका लाभ लेने के हकदार होंगे। उन्होंने बताया कि पहले वाली योजना में किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बीमा योजना के तहत वह राशि भी नहीं मिली जिसे उसने फसलों के बीमा के लिए प्रीमियम राशि (495 करोड़) के तौर पर जमा किया था।

प्रसाद ने स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है,न कि बीमा योजना। यह रैयत और गैर रैयत दौनो तरह के किसानों के लिए है।आपको बता दे कि नीतीश का अहम फैसला खास बात है कि बिहार के कृषि मंत्री बीजेपी के प्रेम कुमार इसके बावजूद इस तरह केंद्र की बीजेपी सरकार की योजनां की आलोचना करते हुए लेना जाहिर करता है कि नीतीश और बीजेपी के मध्य दोस्ती में दरार है।

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