featured भारत खबर विशेष

Maharana Pratap Jayanti 2020: वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर अकबर ने की थी दोस्ती की पेशकश, जाने क्या था महाराणा का जवाब

फ़ोटो सौजन्य- विवेक सिंह

मेवाड़ के राजा और भारतीय इतिहास के शूरवीर महाराणा प्रताप की देश आज 480वीं जयंती मना रहा है। इस राजपूत राणा ने मुगलों के साथ कई युद्ध लड़े,

नई दिल्ली। मेवाड़ के राजा और भारतीय इतिहास के शूरवीर महाराणा प्रताप की देश आज 480वीं जयंती मना रहा है। इस राजपूत राणा ने मुगलों के साथ कई युद्ध लड़े, और हर युद्ध में मुट्ठी भर राजपूतों के सहारे ही मुगल सेना को धूल चटाई। मुगल बादशाह अकबर के साथ उन्होंने सबसे भयंकर युद्ध हल्दीघाटी में लड़ा। इतिहास की इस सबसे बड़ी लड़ाई में राणा प्रताप हारकर भी जीत गए थे। हल्दीघाटी युद्ध के मैदान में राणा प्रताप का युद्ध कौशल और शूरवीरता देख अकबर ने भी प्रशंसा की थी।

 आईये जानते हैं इस वीर सपूत महाराणा प्रताप के बारे में

जन्म तिथि को लेकर मतभेद

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्म-तिथि के संदर्भ में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार महाराणा प्रताप का जन्म 6 जून 1540 ई. को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ बताते हैं, तो वहीं हल्दीघाटी म्यूज़ियम’ के अनुसार साल 1540 में ज्येष्ठ महीने की तृतीया तिथि 9 मई को पड़ी थी, इसीलिए अंग्रेज़ी कैलेंडर में उनकी जन्म तिथि 9 मई भी बतायी जाती है।

प्रताप Maharana Pratap Jayanti 2020: वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर अकबर ने की थी दोस्ती की पेशकश, जाने क्या था महाराणा का जवाब

फ़ोटो सौजन्य- विवेक सिंह

https://www.bharatkhabar.com/unseen-evidences-of-mahabharata-which-made-even-scientists-think-you-also-know-the-real-reality-of-mahabharata/

विश्व प्रसिद्ध हल्दीघाटी युद्ध

हल्दीघाटी युद्ध 21 जून 1576 को राणा प्रताप और अकबर के सेनापति मानसिंह के बीच हुआ था। यह युद्ध राजस्थान के उदयपुर शहर के करीब स्थित हल्दीघाटी में हुआ था। इस युद्ध में महाराणा के पास सिर्फ 20 हजार सैनिक थे, जबकि अकबर के सेनापति मानसिंह लगभग एक लाख सैनिकों के साथ युद्ध कर रहे थे। राणा प्रताप के लिए युद्ध कर रहे मेवाड़ी सैनिकों के जोश और जुनून के सामने मुगल सेना के पांव उखड़ने लगे।

मानसिंह को लगा कि राणा प्रताप एक बार फिर हारी हुई बाजी जीत जाएगा। कहा जाता है कि तब मानसिंह ने छल का सहारा लेते हुए एक मुगल सैनिक मिहतार खां को इशारा किया, तब मिहतार खां ने अचानक शोर मचाया कि बादशाह अकबर स्वयं एक बड़ी सेना के साथ युद्ध स्थल पर पहुंच गये हैं। यह खबर सुनते ही, हताश होकर पीछे हट रही मुगल सेना में जोश आ गया। उधर राजपूत सैनिकों का मनोबल टूटने लगा। राणा प्रताप की तमाम कोशिशों के बावजूद मानसिंह को इस अफवाह का लाभ मिला। राणा प्रताप को हार का सामना करना पड़ा। कुछ घंटे चले इस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए।

प्रताप.jpg 2.jpg 3 Maharana Pratap Jayanti 2020: वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर अकबर ने की थी दोस्ती की पेशकश, जाने क्या था महाराणा का जवाब

फ़ोटो सौजन्य- विवेक सिंह

नहीं स्वीकारी अकबर की दोस्ती!

राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जयवंत कंवरी के घर जन्में महाराणा ने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। उन्होंने मुगलों के हर हमले का मुंह तोड जवाब दिया। कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप की वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर कई बार दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन राणा प्रताप अकबर की कूटनीतिक चाल में नहीं फंसना चाहते थे। वे अकबर से केवल तलवार की भाषा में बात करना पसंद करते थे।

सेनापति मानसिंह से क्यों नाराज़ था अकबर?

हल्दीघाटी युद्ध को लेकर तरह-तरह की बातें प्रचलित हैं। यद्यपि अधिकांश इतिहासकार इस युद्ध में अकबर को विजेता मानते हैं, हांलाकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि स्वयं अकबर भी इस युद्ध से खुश नहीं थे। कहते हैं कि सेनापति मान सिंह, आसफ खां व काजी खां की युद्ध नीति से अकबर इतने नाराज़ थे कि तीनों को काफी समय तक दरबार में आने से मना कर दिया था।

प्रताप.jpg 4.jpg 5 Maharana Pratap Jayanti 2020: वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर अकबर ने की थी दोस्ती की पेशकश, जाने क्या था महाराणा का जवाब

फ़ोटो सौजन्य- विवेक सिंह

निधन

कहते हैं कि हल्दीघाटी युद्ध के बाद महाराणा प्रताप ने अपनी युद्ध नीतियों में काफी बदलाव लाया था। अब वे मुगलों पर घात लगाकर हमले करने लगे थे। उनके संदर्भ में एक कहावत मशहूर थी कि राणा प्रताप एक साथ सौ जगहों पर उपस्थित रहते थे। वे अक्सर मुगलों पर हमले करते और जंगलों में गुप्त रास्ते से निकलकर छुप जाते थे। माना जाता है कि सन् 1596 में महाराणा शिकार खेल रहे थे, उसी दौरान उन्हें जो चोट लगी, वही उनके लिए जीवन घाती साबित हुई।

19 जनवरी, 1598 को मात्र 57 वर्ष की आयु में इस शूरवीर योद्धा ने अंतिम सांस ली। कहते हैं कि महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनकर अकबर को सहसा विश्वास नहीं हुआ था। लेकिन जब मृत्यु की पुष्टि हो गई, तो अकबर की आंखें नम हो गई थीं।

प्रताप.jpg 2 Maharana Pratap Jayanti 2020: वीरता से मंत्रमुग्ध होकर कर अकबर ने की थी दोस्ती की पेशकश, जाने क्या था महाराणा का जवाब

फ़ोटो सौजन्य- विवेक सिंह

Related posts

लता मंगेशकर के नाम पर अयोध्या के चौक का हुआ नामकरण, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

Rahul

पेगासस मामले में मोदी सरकार नहीं चाहती हलफनामा दायर करना, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

Rani Naqvi

रैणी में रेस्क्यू का जायज़ा लेने पहुंची डीएम स्वाति, जानें अधिकारियों को क्या कहा?

Aman Sharma