पेगासस जासूसी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम फैसला सुनाकर सुरक्षित रख लिया है। सोमवार को कोर्ट ने ये मांग करने वाली कई याचिकाओ पर सुनवाई की। इस दौरान केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण से जुड़ा हलफनामा दायर करने की अनइच्छा जताई। इस पर सीजेआई एम वी रमना अध्याक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने कहा कि ऐसे में उसके पास ऑर्डर पास करने पर विचार करने के अलावा कोई और मुद्दा नहीं है। कानूनी मामलों से जुड़ी एक वेबसाइट लाइव लॉ कील एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह देश के मद्देनजर विस्तरित हलफनामें में ये नहीं बता सकती कि आतंकी संगठनों की निगरानी के लिए वह किस तरह के सॉफ्टवेयर इस्तेमाल कर रही हैा
वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक वह एक्पर्ट पैनल के सामने इन सॉफ्ट वेयर की जानकारी रखने के लिए तैयार है। लेकिन हरफनामे के जरिए ऐसा करना उनकी जानकारी आतंकियों को लग सकती है। जो देश की सुरक्षा के लिए सही नहीं है। सुनवाई के दौरान सीजेआई रमना, जस्टिस सुर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच बार-बार कहती रही कि वह भी नहीं चाहती की सरकार देश की सुरक्षा जुड़ी कोई जानकारी दे। बेंच ने कही कि वह केवल इस बात को लेकर चिंता में है कि आम नागरिकों ने एक अवैध जासूसी के मुद्दे को उठाया।
बचा दें कि खबरों के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि हमने सोचा था कि केंद्र सरकार काउंटर एफिडेविट दायर करेगी, और आगे की कार्रवाई करेगी। लेकिन अब अंतरिम आदेश देने के अलावा और कोई मुद्दा नहीं रह गया है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि कैबिनेट सैक्ट्ररी को मामले पर डिसकोजर एफिडेविट फायल करने का निर्देश दे। साथ ही मामले की जांच के लिए किसी रिटार्यड जज के नृत्वव में एक विषेश जांच या स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए। जिस पर सरकार ने तर्क दिया कि नेशनल सिक्योरिटी के अलग-अलग पहलू इस मामले से जुड़े हैं। जिनपर डिटेल एफिडेविट के जरिए चर्चा नहीं की जा सकती।