जहां एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है तो वहीं दुनिया को कोरोना में उलझाने वाले चीन ने एशिया के साथ-साथ यूरोप के देशों को झटका देने देने के लिए अपने नापाक हथकंडे अपनाना शुरू कर दिया है।
जिसकी वजह से अब गरीब पड़ोसी मुल्क भारत को आंखे दिखाने लगा है।नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दे दी है।
इसमें तिब्बत, चीन और नेपाल से सटी सीमा पर स्थित भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
नए नक्शे में नेपाल के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को दिखाया गया है।
और इस नक्शे को सभी सरकारी दस्तावेजों पर इस्तेमाल किया जाएगा। देश के प्रतीक चिन्हों पर भी अब से यही नक्शा होगा। किताबों में यही नक्शा पढ़ाया जाएगा और आम लोग भी इसका ही इस्तेमाल करेंगे।
नया नक्शा जारी करने के एक दिन बाद नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में भारत पर ‘सिंहमेव जयते’ का तंज कसा। ओली ने इशारों ही इशारों में भारत पर ताकत का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि भारत के राजचिन्ह में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है या ‘सिंहमेव जयते।’
नेपाली पीएम ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी के दबाव में यह मुद्दा भारत के साथ नहीं उठाया है।
उन्होंने कहा कि नेपाल केवल अपनी जमीन पर दावा कर रहा है। हमारी सरकार केवल देश के लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रही है।
तो वहीं नेपाल के ऐसे व्यवहार के लिए भारत, चीन को जिम्मेदार मान रहा है। आपको बता दें, नेपाल जो भी कर रहा है वो चीन के कहने पर कर रहा है।
चीन का नाम भले ना लिया गया हो मगर नेपाल में उसका दखल किसी से छिपा नहीं है।
इससे पहले पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है।
इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा को तलब कर लिया था।
लेकिन इस दौरान भारत ने साफ तौर पर कहा था कि, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल ही बनी रोड पूरी तरह भारत के इलाके में हैं।
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लेकिन नेपाल ये बात मानने को तैयार नहीं है कि, वो जो कर रहा है गलत कर रहा है। नेपाल की तरफ से जारी नये नक्शे ने नई बहस के साथ नया विवाद खड़ा कर दिया है। जो आने वाले समय में भयंकर रूप ले सकता है।