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कोरोना संकट के बीच राजस्थान राज्य के दुग्ध उत्पादकों को मिली ये बड़ी राहत

राज्यस्थान कोरोना संकट के बीच राजस्थान राज्य के दुग्ध उत्पादकों को मिली ये बड़ी राहत

कोरोना संकट के बीच प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को भी बड़ी राहत दी गई है। राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने पशु आहार की दरों में बड़ी कटौती की है।

जयपुर। कोरोना संकट के बीच प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को भी बड़ी राहत दी गई है। राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने पशु आहार की दरों में बड़ी कटौती की है। इसका सीधा फायदा दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा। पशु आहार की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की गई है। पशु आहार में यह कटौती मंगलवार सुबह से लागू हो गई। इस फैसले से प्रदेश में सहकारी डेयरियों से जुड़े करीब 8 लाख दुग्ध उत्पादक लाभान्वित होंगे।

पशु आहार की कीमतें घटाई

इससे पहले शुक्रवार को गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने सहकारी डेयरी संघों के अध्यक्षों और प्रशासकों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस की थी इसमें ज्यादातर अध्यक्षों ने दुग्ध उत्पादकों को राहत देने के लिए पशु आहार की दरों में कमी करने का आग्रह किया था। कोरोना महामारी के बीच दुग्ध उत्पादकों की पीड़ा को देखते हुए राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने इस पर त्वरित निर्णय लेते हुए पशु आहार की कीमतें घटा दी है।

प्रदेश में डेयरी फेडरेशन द्वारा सरस ब्रांड के तीन तरह के पशु आहार का उत्पादन किया जाता है। सामान्य सरस संतुलित पशु आहार अभी 2280 रुपये प्रति क्विंटल में मिल रहा था जो अब 2180 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर उपलब्ध होगा। वहीं सरस गोल्ड यानि हाई एनर्जी पशु आहार जो अभी 2430 रुपये प्रति क्विंटल में मिल रहा था वह अब 2330 रुपये प्रति क्विंटल में मिलेगा। उधर 2550 रुपये प्रति क्विंटल में मिल रहा सरस डायमंड (बाइपास प्रोटीन) पशु आहार अब 2450 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मिलेगा।

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दुग्ध उत्पादकों की यह है पीड़ा

लॉकडाउन से किसानों के साथ ही दुग्ध उत्पादक भी बेहाल हैं। प्राइवेट डेयरियों और विक्रेताओं ने दुग्ध उत्पादकों से दूध खरीदना बंद कर दिया है। सहकारी डेयरियां भी आधा-अधूरा दूध ही खरीद रही हैं। समारोह आदि के आयोजन पर प्रतिबंध होने से भी दूध की बिक्री प्रभावित हुई है।

पशुपालक दूध की छाछ बनाकर वापस मवेशियों को पिलाने पर मजबूर हैं

पशुपालक दूध की छाछ बनाकर वापस मवेशियों को पिलाने पर मजबूर है। वे भविष्य में घी की बिक्री से उम्मीद पाले हुए हैं। किसानों को फसल का दाम एकमुश्त मिलता है जबकि दूध बिक्री से उसे रोज आमदनी होती है और घर खर्च चलता है। अब इस आमदनी पर ब्रेक लग गया है। वहीं लॉकडाउन से चारा महंगा हो गया है और पशुओं को यह महंगा चारा खिलाना पड़ रहा है। ऐसे में दुग्ध उत्पादकों पर लॉकडाउन की दोहरी मार पड़ रही है।

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