भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से वास्ता रखने के बावजूद भी उनमें कई समानताएं देखने को मिलती हैं। गौरतलब है कि दोनों अटल और नेहरू अपनी-अपनी पार्टियों से प्रधानमंत्री बनने वाले प्रथम नेता थे।आपको बता दें कि अटल की प्रतिभा से प्रभावित पं.जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी उनकी सीट (पीएम की सीट) पर अधिकार करेंगे और भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।
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राजनीति में कदम रखने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी एक पत्रकार थे
बताते चलें कि राजनीति में कदम रखने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी एक पत्रकार थे। वाजपेयी ने पांचजन्य “हिंदी में आरएसएस का मुखपत्र”, राष्ट्र धर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसी पत्र-पत्रिकाओं को लंबे समय तक संपादित करके पत्रकारिता जगत में एक अमिट छाप छोड़ी है। RSS प्रचारक के रूप में चार साल तक काम करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी 1951 में भारतीय जनसंघ (आगे चलकर जनसंघ भारतीय जनता पार्टी में बदल गया) से जुड़ गए। वह पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी के राजनीतिक सचिव थे।
1955 के उपचुनाव में वाजपेयी को लखनऊ लोकसभा पहली बार प्रत्यासी घोषित किया गया
1953 में मुखर्जी की मौत के बाद अटल सक्रिय रूप से पार्टी के सदस्य बन गए।भारतीय जनसंघ में वाजपेयी की बढ़ती पकड़ को देखते हुए 1955 के उपचुनाव में वाजपेयी को लखनऊ लोकसभा सीट के लिए पार्टी के उम्मीदवार के घोषित किया गया।आपको बता दें कि लखनऊ लोकसभा सीट पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। लेकिन उस चुनाव में वाजपेयी को असफलता हाथ लगी। वाजपेयी ने रीसरे नंबर पर रहे थे।वाजपेयी के उस चुनावी समर को उनके प्रभावशाली व्याख्यात्मक कौशल उन्हे देश हमेशा याद करता है।
1957 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन जगहों से चुनाव लड़ा था
वाजपेयी ने दो साल बाद 1957 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन जगहों से चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्हें बलरामपुर से जीत मिली थी। वहीं लखनऊ संसदीय क्षेत्र से अटल दूसरे नंबर पर और मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई।पंडित नेहरू की कद्दावर कांग्रेस के विरोध में एक छोटी पार्टी से आने के बावजूद अटल ने पहली बार सांसद के रूप में अदभुत प्रदर्शन किया था। इसके बाद वाजपेयी द्वारा लोकसभा में उठाए गए सवालों और उनके भाषण ने पंडित नेहरू का ध्यान अपना ओर आकर्षित किया।
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1957 में ही उन्होंने वाजपेयी के भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री होने की भविष्यवाणी कर दी
अटल के हिंदी में दिए भाषण से नेहरू बैहद प्रभावित हुए। और 1957 में ही उन्होंने वाजपेयी
के भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री होने की भविष्यवाणी कर दी।
नेहरू ने कहा था कि यह नवजवान एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।
नेहरू की ये भविष्यवाणी लगभग 40 वर्ष बाद 1990 को दशक में सत्य हो गई।
1996 में अटल भारतीय जनता पार्टी से देश के प्रधानमंत्री बने।
अटल कुल तीन बार देश की सर्वोच्च सत्ता पर रह चुके हैं।