नई दिल्ली: बीते गुरुवार को भारत के पूर्व पीएम और भारत रत्न सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वहीं पूरा भारत आज उनके न होने गम में डूबा हुआ है। अटल जी की एक कविता याद आती है जिसमें उन्होने कहा था कि हे ‘मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना’। इन पंक्तियों को लिखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दिल से भी ऐसे ही थे।
यादें अटल की
अटल बिहारी बाजपेयी का सानिध्य पाने वाले लोग आज भी उनकी जिंदादिली एवं दोस्ताना व्यवहार की तारीफ किये बिना नहीं रहते। ऐसा ही वाकया अलीगढ़ का है। जहां अटल जी के अलीगढ़ आगमन के दौरान एक ऐसा ही उदाहरण देखने को भी मिला, जिसे पुराने लोग आज भी याद करते हैं। संघ के पुराने कार्यकर्ता गरुड़ ध्वज उपाध्याय कहते हैं कि बात शायद 1967 की होगी। विधानसभा चुनाव में ठाकुर इंद्रपाल सिंह यहां के जनसंघ प्रत्याशी थी।
वाजपेयी का कुर्ता हो गया था गंदा
उपाध्याय जी बताते हैं कि ठाकुर इंद्रपाल सिंह के चुनाव प्रचार के सिलसिले में अटल बिहारी वाजपेयी आए थे। लगातार चुनावी सभा में व्यस्त रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी का कुर्ता गंदा हो गया था। उस समय उनके पास दूसरा कुर्ता नहीं था। गरुड़ ध्वज उपाध्याय बताते हैं कि अलीगढ़ प्रभारी कमल लाल गुप्ता विख्यात वकील शिव हरे सिंघल के घर पर रुके थे। उनके पास एक अतिरिक्त कुर्ता था।
दूसरे का कुर्ता पहनकर गए थे
अटल बिहारी बाजपेयी ने कमल लाल गुप्ता से कहा कि मेरे पास दूसरा कुर्ता नहीं है। तुम अपना कुर्ता पहनने को दे दो। कमल लाल गुप्ता कुछ कहते, इससे पहले ही अटल बिहारी वाजपेयी उनका कुर्ता पहनकर चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़े और कमल लाल गुप्ता से कहा कि दिल्ली आकर कुर्ता ले लेना। हालांकि बाद में शहर के ही एक कार्यकर्ता ने साबुन से कुर्ता धोकर उन्हें वापस सौंप दिया था। ऐसे स्वभाव के थे हमारे भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी। वाजपेयी की आत्मा तो दुनिया छोंडकर जा चुकी है लेकिन अटल जी का अच्छा सरल सहज स्वभाव सभी भारतीयों के लिए प्रेरणादायी होगा।