लखनऊ: सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्ग के उद्योग को सहारा देने के लिए कई कदम उठाए। स्थिति थोड़ी बेहतर होती इससे पहले कोरोना का कहर देखने को मिला। इसका जमीनी असर MSME पर कितना है और चुनौतियां क्या-क्या हैं, इसी विषय पर Bharatkhabar.com के संवाददाता आदित्य मिश्र ने उद्योग जगत के लोगों और पदाधिकारियों से बातचीत की।
बैंक नीतियों में MSME को मिले सहूलियत
जगदीश प्रसाद कौशिक(CEC Member, IIA) कहते हैं कि MSME सेक्टर सबसे ज्यादा बैंकों की खराब प्रणाली का सामना कर रहा है। उनकी तरफ से ज्यादा सहयोग नहीं मिलता। सरकार की नीतियां सही है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका प्रभाव नहीं देखने को मिलता। कोरोना के बाद माहौल यह है कि हमारे पास आर्डर है लेकिन कंप्लीट नहीं कर पा रहे क्योंकि आर्थिक स्थिति अभी मजबूत नहीं है।
सुझाव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि नियम थोड़े कम सख्त होने चाहिए। MSME सेक्टर को उचित फंड मिलना चाहिए। लोन प्रक्रिया और आसान हो जाए, जिससे कागजी कार्रवाई के बीच न भटकना पड़े। उन्होंने कहा कि MSME ने देश को संभाल लिया है लेकिन MSME को कौन संभालेगा यह बड़ा सवाल है ? सरकारी स्कीम पर उन्होंने कहा कि योजनाएं अच्छी हैं, आने वाले समय में उम्मीद है कि इसका फायदा उद्योग जगत को मिलेगा।
योजनाओं के दौरान शामिल हों सदस्य
संजीव मित्तल (Sanjeev Mittal- CEC Member IIA, M/s Sanjeev Industries) कहते हैं कि कोरोना का असर सभी जगह देखने को मिला है। MSME सेक्टर इससे अछूता नहीं रहा। मजदूर वर्ग की कमी से लेकर आयात-निर्यात प्रभावित हुआ। कोरोना के दौरान अलग-अलग दवाइयां ढूंढ ली गई लेकिन MSME के लिए अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है। इसमें छोटी यूनिट बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं।
उन्हें अभी भी रेंट, ब्याज, कर्मचारियों की सैलरी, बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है। मौजूदा स्थिति यह है कि पूरा MSME सेक्टर 5-6 साल पीछे जा चुका है। फिर भी उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि हमें अपने आप को मानसिक रूप से मजबूत करना होगा। समय लगेगा लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हो जाएगी। सरकार को एक सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि अगर जो योजनाएं MSME सेक्टर के लिए बनाई जाती हैं, उसमें इससे जुड़े सदस्यों को भी शामिल किया जाए। तभी सही समाधान मिल पाएगा।
बढ़ती कीमतें कर रही प्रभावित
जब कानपुर उद्योग जगत से जुड़े जसवंत सिंह (Jaswant Singh, Member, IIA) से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सेल बंद होने के कारण खूब नुकसान देखने को मिला। छोटे दुकानदार अभी पुराना माल नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसे में नए उत्पादन की मांग भी कम हो गई है। खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि घी और अन्य चीजों का रेट काफी बढ़ जाने के कारण उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। सरकार को इन चीजों में बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण लगाना चाहिए।
फिर लॉकडाउन हुआ तो गड़बड़
मयंक जैन (Mahaveer Udyog, Shamli) ने बताया कि कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की सप्लाई सभी उद्योगों ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए छोड़ दी। इसका असर उद्योग पर पड़ा, इसके अलावा आर्थिक संकट भी झेलने को मिला। मौजूदा स्थिति 50-50 वाली है। अगर तीसरी लहर पर नियंत्रण लगा लिया गया तो धीरे-धीरे MSME सेक्टर फिर खड़ा हो जाएगा, लेकिन अगर लॉकडाउन की स्थिति बनी तो और बुरे हालात देखने को मिल सकते हैं।
कच्चे माल के बढ़ते दाम ने बढ़ाई चिंता
नवीन खन्ना (Naveen Khanna, President, UP Biscuit Manufacturers Association) ने बताया कि कोरोना के कारण MSME पर बहुत बुरा असर हुआ है। उद्योग 30 से 40% गिरावट का सामना कर रहा है, जिससे उबरने में काफी समय लगेगा। अपने सुझाव में उन्होंने कहा कि कच्चे माल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके नियंत्रण पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, यह उत्पादन को बहुत प्रभावित कर रहा है।