छत्तीसगढ़ में आदिवासी कोटे को फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर इसका लाभ लिया जा रहा हैं। आदिवासी कोटे से राज्य प्रशासनिक सेवा में आए ईसाई समुदाय के एक अफसर को बीते महीने IAS अफसर बना दिया गया हैं। फर्जी जाति प्रमाण पत्र की वजह से उनकी पदोन्नति का मामला 3 साल से अटका था।
राज्य में ऐसे ही कई मामले
करीब 13 साल पहले उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त करते हुए उन्हें हटा दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ वह कोर्ट से स्टे लेकर आ गए और अब आराम से नौकरी कर रहे हैं। और वह 2024 तक सेवा में रहेंगे। यह केवल मात्र एक उदाहरण हैं। राज्य में ऐसे ही कई मामले हैं। जहां आदिवासी कोटे का फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर आदिवासी समाज का हक़ छीना जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री ने दिया था आश्वासन
आदिवासी समाज ऐसे लोगों पर लगातार कार्रवाई की मांग कर रहा हैं। एक साल पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे मामलों में शीघ्र फैसला लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक ऐसे एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की गई हैं।
आदिवासी समाज ने सौंपी 245 अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची
सेवानिवृत्त IAS और कांग्रेस के आदिवासी विधायक शिशुपाल सोरी के नेतृत्व में आदिवासी समाज ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 245 अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची सौंपी हैं। इन सभी पर गलत दस्तावेज की मदद से नौकरी पाने का आरोप हैं। दावा किया गया हैं कि फर्जी तरीके से नौकरी करने वालों को सरकार हर साल करीब 6 करोड़ रुपये वेतन बांटती है।
17 सालों से लंबित है कई मामले
छत्तीसगढ़ में अब तक अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग से ऐसी ही कुल 580 शिकायतें मिल चुकी है। जिनमें 245 मामले फर्जी पाए गए हैं। 220 मामले सही मिले और 115 की जांच की जा रही हैं। इनमें हाईकोर्ट में 3 दर्जन मामले लंबित है। विभागों में 200 कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच में वे दोषी पाए गए है। इनमें मंत्रालय में ही करीब दो दर्जन मामलें शामिल है। फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले 17 सालों से लंबित है। कई हाईकोर्ट से स्टे लेकर बैठे हुए हैं।
आदिवासियों का मार रहे हक
जांच समिति ने 60 ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए है जो सरकार के 28 विभागों में काम कर रहे है। हमारे पास ऐसे 250 -300 लोगों की सूची है जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आदिवासियों का हक मार रहे हैं। पिछले महीने ऐसे ही एक अफसर को IAS बना दिया गया हैं।
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