मेरठ। बीते सोमवार को पूरे देश में हुए दलितों के हिंसक बवाल के बाद दूसरे जातीय संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। राजस्थान और उत्तराखंड के रूड़की में दूसरी जातियों के संगठनों ने जिस तरह से बवालियों को मुंहतोड़ जवाब दिया उसकी तैयारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में भी शुरू हो गई है। सोशल मीडिया के जरिए लोगों को एकजुट करने की बात कही जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जिस तरह से मनमानी व्याख्या करके दलित संगठनों ने पूरे देश में हिंसक ताड़व किया, उसने दूसरे जातीय संगठनों को लामबंद कर दिया है। राजस्थान में करणी सेना ने सड़कों पर उतरकर दलित बवालियों को जमकर पीटा। इसी तरह से रूड़की में भी गुर्जर समाज के लोगों ने दलितों को जमकर पीटा।
हिंसक बवाल की नहीं थी किसी को आशंका
जातीय संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि सोमवार को दलितों से हिंसक बवाल की आशंका नहीं थी। उन्हें केवल धरना-प्रदर्शन करने की संभावना थी। इसी कारण सभी लोग अपने रोजमर्रा के कामों से बाहर निकल गए थे। अगर उन्हें किसी भी स्तर पर ऐसी आशंका होती तो इस बवाल का मुंहतोड़ जवाब दिया जाता। देश को बंधक बनाने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। अगर आगे ऐसे किसी बवाल की आशंका हुई तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
मुस्लिम भी बवाल में खूब दिखाई दिए बवाल को नजदीक से देखने वाले लोगों का साफ कहना है कि अकेले दलित समाज के लोगों ने यह हिंसक बवाल नहीं किया। इसमें दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समाज के उत्पाती तत्व भी शामिल थे। गलियों में लोगों ने मुस्लिम युवकों के हाथों में लाठी, लोहे के डंडे देखे। बवालियों के बीच भी यह मुस्लिम शामिल थे।
कही जा रही दस अप्रैल के भारत बंद की बात
दलितों के बवाल के बाद अब सोशल मीडिया पर सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग की ओर से दस अप्रैल के भारत बंद की बात कही जा रही है। इस संदेश को भेजने वाले का कोई नाम-पता नहीं लिखा गया है। केवल दस अप्रैल को भारत बंद में शामिल होने का आह्वान किया जा रहा है। मेरठ में इंटरनेट सेवाएं बंद होने का भी इस संदेश के प्रचारित होने पर कोई असर नहीं पड़ा। इंटरनेट सेवा शुरू होते ही यह संदेश सभी के मोबाइल पर पहुंच गया। इसमें फेसबुक और वाट्सअप की मदद ली जा रही है।