माले। मालदीव में 45 दिनों के लंबे अंतराल के बाद सरकार ने आपातकाल को खत्म कर दिया है। वहीं आपातकाल को खत्म करने के बावजूद भी भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के जो चिंताएं सामने रखी थीं, उन्हें सुलझाना अभी बाकी है। दरअसल भारत ने पहले भी मालदीव सरकार से आपातकाल को हटाए जाने की मांग की थी, लेकिन माना जाता है कि चीन के प्रभाव में आकर मालदीव सरकार ने इसे अनसुना कर दिया था। माले के कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने पिछले 45 दिन से देश में लगे आपातकाल को हटा दिया है। बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने नेताओं के साथ मिलकर संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया था, लेकिन सामान्य हालातों को बढ़ावा देने के लिए आपाताकाल को सरकार ने हटा लिया है।
विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका स्वतंत्र तरीके से काम कर रही है।बता दें कि भारत ने आपातकाल हटाए जाने का स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ ये भी कहा है कि मालदीव सरकार संविधान के सभी आर्टिकल बहाल करे, जुडिशरी को आजादी के साथ काम करने दे, संसद को उचित तरीके से काम करने दिया जाए। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि इमर्जेंसी हटाना मालदीव में मौजूदा राजनीतिक हालात से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए एक कदम है, लेकिन हम मालदीव की सरकार से अनुरोध करेंगे कि 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने जो आदेश दिया था, उस पर अमल किया जाए। बताते चलें कि मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने 1 फरवरी को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी थी और 9 विपक्षी सांसदों की बहाली का आदेश दिया था।