देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने हिन्दू राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए स्वयंसेवकों को प्रेरित करते हुए कहा कि डॉ हेडगेवार के दिखाए मार्ग पर चलकर हमें समाज जागरण में अपने कार्यो में और गति लानी होगी, तभी राष्ट्र पुन: परमवैभव पर पहुंच पाएगा। इसके लिए हमें भेद-विभेद को भूल कार्य को प्रधानता देनी होगी, जिससे समाज का कल्याण हो सके। शुक्रवार को देहरादून में आरएसएस महानगर की रामनगर इकाई के एमकेपी इंटर कॉलेज में एकत्रीकरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए यह विचार रखे।
कार्यक्रम में योग व्यायाम और एकल गीत के बाद सर सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ संस्थापक डॉ केशव राव बलीराम हेडगेवार के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य पहले भी और अब भी समाज को जोड़ना है। हमारा उद्देश्य सिर्फ शाखा में जाना नहीं बल्कि उसके जरिए समाज के लिए काम करना है। यहीं कारण है कि संघ से युवा सहित अन्य वर्गो का जुड़ने का क्रम तेजी से जारी है।
डॉ हेडगवार के त्याग व हिन्दू राष्ट्र की सोच पर चर्चा करते हुए वैद्य ने कहा कि भारत ही नहीं विश्व के लोगों द्वारा संघ की शाखा का अनुशरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संघ के कार्यो से प्रभावित केन्या सहित अन्य देशों में शाखा के तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं, जो बहुत ही सुखद है। इस मौके पर उन्होंने देश में चल रहे कई राज्यों के उतम शाखा का उदाहरण भी प्रस्तुत किए। उन्होंने संघ एवं स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे कार्यो का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का स्मरण कराते हुए कहा कि आज संघ चौथे फेज में चल रहा है।
इस फेज में संघ के लगभग एक लाख सत्तर हजार सेवा कार्य किए जा रहे हैं, जो वास्ताव में सराहनीय है लेकिन हमें यही नहीं रुकना है। इसके लिए शाखा में ऐसे स्वयंसेवकों को जागरूक करना होगा जो शाखा तक सीमित रहते है उन्हें समाज कार्य के लिए आगे लाना होगा। इसके लिए शाखा इकाई को कुशल नेतृत्व का निर्वहन करते हुए समाज की अपेक्षा पर सहज व आत्मीयता के साथ कार्य करना होगा।
मनमोहन वैद्य ने संघ और आज के बदलते राजनीतिक परिवेश पर चर्चा करते हुए कहा कि हम किसी दल के नहीं बल्कि दल हमारे नजदीक हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया फेसबुक और वाट्सअप में संघ प्लेसमेंट जैसे चल रहे खबर को खारिज करते हुए कहा कि हमारे लोग विभिन्न पद पर बने हुए हैं लेकिन यह संघ का मानक नहीं है, इस प्रकार की अफवाहों से बचना होगा।
वैद्य ने डॉ हेडगेवार की सोच को दूरदर्शी बताते हुए कहा कि वे पद नहीं राष्ट्र से प्रेम करते थे। उनका सोच समाज में बुराई जैसे फैले बीमारी को मूल जड़ से खत्म करने का था। इसी सोच के ध्यान में रखकर अपने आत्मगौरव और त्याग के साथ राष्ट्रनिर्माण के कार्य को चुना। उन्हीं की सोच का नजीता है कि आज संघ भारत नहीं विश्वभर के लगभग 35 देशों में कार्य कर रहा है।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि तमाम विरोध-अवरोध के बावजूद संघ का कार्य लगातार बढ़ रहा है। संघ की यह छठवीं पीढ़ी चल रही है। इस पीढ़ी में दैनिक-मासिक सहित 80 हजार शाखाएं लग रहीं हैं। इन शाखाओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार के समाजोत्थान कार्यो में स्वयंसेवक हाथ बढ़ा रहे हैं और संघ से लोगों की उम्मीद भी बढ़ी है। ऐसे में हम स्वयंसेवकों का दायित्व और बढ़ जाता है। जिस पर हमें खरा उतरकर प्रमाणिकता के साथ कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि डॉ हेडगेवार को कांग्रेस दायित्व देना चाहती थी लेकिन उन्होंने कांग्रेस नहीं राष्ट्र को सर्वोपरी मानते हुए अलग राह चुनी। यही कारण है कि वे अविवाहित रहकर संघ जैसे संगठन की नींव रखी और यह नींव आज विशाल संगठन के रूप में फैलकर व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहा है। इस मौके पर मंचासिन अतिथि महानगर संघचालक आजाद सिंह रावत, रामनगर संघचालक राजेश बक्शी उपस्थित रहे।