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अलविदा 2017: साल के शुरुआत में हाफिज पर लगी नजरबंदी, साल के अंत में हुआ आजाद

नई दिल्ली। साल 2017 की शुरुआत में भारत को जो सबसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी, वो थी मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड आंतकी हाफिज सईद पर लहौर हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई नजरबंदी। लेकिन साल के अंत तक पाकिस्तान ने अपनी असली ओकात दिखाते हुए एक बार फिर भारत के पीठ में छुरा घोंपा और सबूतों के अभाव का हवाला देकर हाफिज सईद पर से नजरबंदी हटवा ली। इससे पाकिस्तान को दो फायदे हुए पहला तो ये की हाफिज सईद पर से दुनिया का ध्यान हट गया और दूसरा ये की आतंकवाद के नाम पर हर जगह बदनामी झेलने के बाद उसे इससे थोड़ी राहत मिल गई। हालांकि भारत और अमेरिका ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और हाफिज सईद पर से नजरबंदी हटाने को लेकर शिकायत भी दर्ज करवाई। यहां तक की अमेरिका ने तो सीधे तौर पर पाकिस्तान को चेतावनी तक दे डाली।

दरअसल 10 महीने की नजरबंदी के बाद मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर  सबूतो के अभाव का हवाला देते हुए 25 नवंबर को नजरबंदी हटा दी गई थी। जब हाफिज बाहर आया तो उसके साथ बड़ी संख्या में उसके समर्थक भी मौजूद रहे। कश्मीर में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने ये आशंका जताई थी कि भारत सईद को निशाना बना सकता है। इसके बाद सईद को पाकिस्तान ने नजरबंद कर दिया था। जमात-उद-दावा के संस्थापक हाफिज ने ही भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए साल 2008 के आंतकी हमलों की साजिश रची थी। इस दौरान आतंकियों ने दो लग्जरी होटल, एक यहूदी सेंटर और ट्रेन स्टेशन को निशाना बनाया था। करीब तीन दिन तक जारी रहे आतंकी हमले में कई विदेशी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे।

जांच में पता चला था  कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे और भारतीय जांचकर्ताओं का दावा है कि हमला हाफिज सईद के इशारों पर हुआ और हमले के दौरान आतंकवादी टेलिफोन के जरिये पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। यहीं नहीं अमेरिका ने हाफिज पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम भी रखा हुआ है। अमेरिका ने सईद की नदजरबंदी का विरोध करते हुए कहा था कि पाकिस्तान को आतंकियों को पनाह देनी बंद कर देनी चाहिए। इतना सब होने के बाद भी हाफिज के हौसते पस्त नहीं हुए उसने बाहर आते ही सबसे पहले भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला और कश्मीर का जिक्र एक बार फिर किया। उसने कहा था कि हम पाकिस्तानी कश्मीर को आजाद कराकर दम लेंगे और कश्मीर की आजादी के लिए एक-एक पाकिस्तानी अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार है। हाफिज की इस बात से ये साफ पता चलता है कि उसे पाकिस्तानियों की भी कोई चिंता नहीं है।

इसके अलावा नजरबंदी के बावजूद हाफिज सईद की कथित चैरिटी संस्था, पाकिस्तान में कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) बना चुकी है। एमएमएल का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है। यहीं नहीं पेशावर उप चुनावों में उसे हजारों वोट मिले, जिसमें पाकिस्तान का चुनाव आयोग पार्टी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर चुका है। लेकिन पाकिस्तान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और रिटायर्ड सेनाधिकारियों के मुताबिक सईद की पार्टी को पाकिस्तान की ताकतवर सेना का समर्थन प्राप्त है, हालांकि पाकिस्तान की सेना कई दशकों से राजनीति में दखल देने से इनकार करती आई है।

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