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रोजगार अवसर बढ़ाने और ज्यादा साझा सुविधा केंद्रों की स्थापना करना है प्रमुख्य लक्ष्य

employement रोजगार अवसर बढ़ाने और ज्यादा साझा सुविधा केंद्रों की स्थापना करना है प्रमुख्य लक्ष्य
  • संवाददाता, भारत खबर

नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि सरकार ने ‘पारंपरिक उद्योगों के उन्नयन एवं पुनर्निर्माण के लिए कोष की योजना (स्फूर्ति)’ के तहत और ज्यादा साझा सुविधा केन्द्रों (सीएफसी) की स्थापना करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने आज लोकसभा में 2019-20 का केन्द्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि इससे पारंपरिक उद्योगों को और ज्यादा उत्पादक, लाभप्रद एवं सतत रोजगार अवसरों को सृजित करने में सक्षम बनाने के लिए क्लस्टर आधारित विकास को सुविधाजनक बनाया जा सकेगा। इसके तहत फोकस वाले क्षेत्र या सेक्टर बांस, शहद और खादी क्लस्टर हैं। ‘स्फूर्ति’ के तहत वर्ष 2019-20 के दौरान 100 नए क्लस्टर स्थापित करने की परिकल्पना की गई है जिससे 50,000 कारीगर आर्थिक मूल्य श्रृंखला से जुड़ सकेंगे।
आजीविका व्यवसाय इन्क्यूबेटरों (एलबीआई) और प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटरों (टीबीआई) की स्थापना के लिए ‘नवाचार, ग्रामीण उद्योग एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने की योजना (एस्पायर)’ को समेकित किया गया है। इस योजना के तहत कृषि-ग्रामीण उद्योग सेक्टरों में 75,000 कुशल उद्यमियों को विकसित करने के लिए वर्ष 2019-20 में 80 आजीविका व्यवसाय इन्क्यूबेटरों और 20 प्रौद्योगिकी व्यवसाय इन्क्यूबेटरों की स्थापना करने की मंशा व्यक्त की गई है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मत्स्य पालन एवं मछुआरा समुदाय खेती-बाड़ी से काफी हद तक जुड़े हुए हैं और ये ग्रामीण भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मत्स्य पालन विभाग ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)’ के जरिए एक सुदृढ़ मत्स्य पालन प्रबंधन रूपरेखा स्थापित करेगा। इस योजना के जरिए अवसंरचना, आधुनिकीकरण, उत्पादकता, फसल कटाई उपरांत प्रबंधन और गुणवत्ता नियंत्रण सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) के सुदृढ़ीकरण के मार्ग में मौजूद बाधाओं को दूर किया जाएगा।

कृषि से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में व्यापक निवेश करने संबंधी सरकारी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार खेतों से प्राप्त होने वाली किसानों की उपज के साथ-साथ सहायक गतिविधियों से प्राप्त उत्पादों जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के लिए बांस एवं लकड़ी के मूल्य वर्द्धन को बढ़ावा देने हेतु निजी उद्यमिता को आवश्यक सहयोग देगी। ‘अन्नदाता’ दरअसल ‘ऊर्जादाता’ भी बन सकते हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे, ताकि अगले पांच वर्षों के दौरान किसानों के लिए व्यापक उत्पादन स्तर सुनिश्चित किया जा सके। पशु चारे के उत्पादन और दूध की खरीद, प्रोसेसिंग एवं विपणन के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को सृजित करके भी सहकारी समितियों के जरिए डेयरी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कृषि विपणन का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हमारी केन्द्र सरकार निरंतर राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि किसान ‘ई-नाम’ से लाभान्वित हो सकें। कृषि उपज विपणन सहकारिता (एपीएमसी) अधिनियम के कारण किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य पाने से वंचित नहीं रहना चाहिए। ‘कारोबार में सुगमता’ और ‘जीवनयापन में सुगमता’ दोनों को किसानों पर भी लागू किया जाना चाहिए। हम एक विषय यानी ‘शून्य बजट खेती-बाड़ी’ के मामले में फिर से बुनियादी बातों पर गौर करेंगे। हम इस अभिनव मॉडल की पुनरावृत्ति करेंगे। इस तरह के कदम देश की आजादी के 75वें वर्ष में किसानों की आमदनी को वास्तव में दोगुना कर सकते हैं।

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