नई दिल्ली। मोदी सरकार ने एक बार फिर रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स को जोरदार झटका दिया है। एजेंसी ने अप्रैल-जून में क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ घटाने के बाद भारत की विकास दर का अनुमान भी घटा दिया है। रेटिंग ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने इससे पहले विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन अब इसे घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने हालांकि उम्मीद जताई है कि साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियां अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने में मदद करेंगी।
बता दें कि रेटिंग एजेंसी का कहना है कि दूसरी छमाही में नोटबंदी और जीएसटी की वजह से इकोनॉमी पर पड़ा असर कम होगा और इकोनॉमी रफ्तार पकड़ेगी। अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में एजेंसी ने यह बात कही है। फिच रेटिंग्स का कहना है कि जिस तरह वैश्विक इकोनॉमी में सुधार आया है और 2010 के बाद अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ी है. भारत को लेकर एजेंसी ने कहा है कि अप्रैल-जून क्वार्टर में जीडीपी विकास 5.7 फीसदी रहा। जो कि पिछले साल के 6.1 फीसदी के मुकाबले कम है। 2013 के बाद यह सबसे कम रफ्तार है।
वहीं इससे पहले एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने भी इस वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर के अनुमान में कटौती की है। एडीबी ने भारत की जीडीपी की रफ्तार 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। यह बैंक के पूर्व में किए गए अनुमान से 0.4 फीसदी कम है। बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए भी जीडीपी की विकास दर घटाई है। इसके लिए नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार माना जा रहा है।