कानपुर: लखनऊ के बाद कानपुर शहर में भी मेट्रो का विकास तेजी से हो रहा है। इसको बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे बिजली बचाने पर भी जोर दिया जाएगा। तकनीक जितनी एडवांस होगी, फायदा उतना ही ज्यादा होगा।
ब्रेक लगाओ बिजली बनाओ
कानपुर मेट्रो की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इसमें ब्रेक लगाने के बाद बिजली का उत्पादन शुरू होगा। बात थोड़ी चौंकाने वाली है लेकिन सही है। किसी भी सामान्य वाहन में ब्रेक लगाने के लिए ऊर्जा की खपत होती है। लेकिन इस खास मेट्रो में जैसे ही ब्रेक लगाया जाएगा, बिजली बनना शुरू हो जाएगी।
विज्ञान काफी आगे पहुंच चुका है और इसी उन्नत तकनीकी का उदाहरण कानपुर में देखने को मिलेगा। मेट्रो ही नहीं लिफ्ट के रुकने से जो ऊर्जा पैदा होगी, उसका इस्तेमाल अन्य काम में किया जाएगा। इसे रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक का नाम दिया गया है। कानपुर ही नहीं, इसका इस्तेमाल आगरा और अन्य जगहों पर बनने वाले मेट्रो में भी किया जाएगा।
वापस ऊर्जा ट्रांसफर
दरअसल मेट्रो का कोच और लिफ्ट इस तरीके से बनाई जाएगी, जिससे इसमें से ऊर्जा का ट्रांसफर हो सके। रुकने में जो ऊर्जा की खपत होती है, वह ट्रांसफर होकर दोबारा इस्तेमाल में लाई जा सकेगी और आसान भाषा में समझें तो जितनी बार मेट्रो में ब्रेक लगाई जाएगी। पहियों में यह उपकरण सेट कर दिया जाएगा, फिर सारी उर्जा दोबारा लाइन में भेज दी जाएगी। इससे ऊर्जा का संरक्षण भी होगा और कम खपत भी होगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में आगरा, कानपुर, वाराणसी जैसे शहरों में मेट्रो का विकास किया जा रहा है। कानपुर में ही कुल 29 स्टेशन बनाने की तैयारी है। पहले कॉरिडोर में 21 स्टेशन बनाए जाएंगे, वहीं दूसरे में आठ अन्य स्टेशन बनाने की योजना है। कुल 32 किलोमीटर से अधिक का लंबा सफर कानपुर मेट्रो की गाड़ी तय करेगी