Breaking News यूपी

घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज

WhatsApp Image 2021 05 22 at 5.30.40 PM घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज

लखनऊ। कोरोना के दौरान अस्पतालों में ओपीडी बंद होने से स्पेशल बच्चों के सामने इलाज का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में द होप रिहेबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर की डॉ प्रीति कुरील और डॉ सुमन रंजन एक स्पेशल बच्चों का इलाज ऑनलाइन कर रहीं हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि इलाज में प्रयोग होने संसाधनों की जगह वे घरेलू सामानों का प्रयोग करवा रही हैं।

डॉ प्रीति कुरील ने बताया कि न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जन्मजात होते हैं। ये समस्या करीब पांच फीसदी होते हैं। अब तो लगातार बढ़ रहे तनाव, खानपान, एकाकीपन आदि की वजह से भी ये समस्या होने के चांस लगातार बढ़ रहे हैं।

WhatsApp Image 2021 05 22 at 5.30.39 PM घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज
स्पेशल बच्चों को ऑनलाइन सिखातीं डॉ. प्रीति कुरील

डॉ प्रीति ने बताया कि कोरोना की वजह से इन बच्चों में समस्याएं बढ़ने के चांस हैं। वहीं तीसरी लहर के दौरान इन बच्चों पर कोरोना ज्यादा असर कर सकता है। ऐसे में इनका नियमित इलाज बेहद जरूरी है।

वीडियोकॉल के जरिए कर रहीं इलाज

डॉ प्रीति और डॉ सुमन ने बताया कि उनके सेंटर पर करीब 40 से ज्यादा बच्चे प्रतिदिन आते थे। लेकिन, कोरोना और लॉकडाउन की वजह से इनका इलाज प्रभावित होने लगा। सेंटर पर सारी सुविधाएं थीं लेकिन घर पर सेंटर की तरह इलाज मुश्किल हो रहा था।

WhatsApp Image 2021 05 22 at 5.30.38 PM घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज

इस दौरान बच्चों की समस्या को देखते हुए हमने वीडियोकॉल के जरिए इनका इलाज करना शुरू किया। डॉ प्रीति ने बताया कि रेनबो क्लब नाम से ऑनलाइन हेल्पलाइन भी शुरू की है। इससे भी कई लोग जुड़े हैं।

घर के सामानों से कर रहीं इलाज

डॉ प्रीति ने बताया कि विडियोकॉल पर हम घर में मौजूद सामानों से बच्चों का इलाज कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि बच्चों के बैठने की क्षमता और अटेंशन विकसित करने के लिए कई अनाजों को एक में मिलवा देते हैं। फिर बच्चों से उनको अलग-अलग करवाते हैं। गेंद से थ्रो करने की गतिविधि कराते हैं।

WhatsApp Image 2021 05 22 at 3.21.10 PM घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज
डॉ प्रीति कुरील

विजुअल परसेप्शन बढ़ाने के लिए हम कई रंग की गेंदों या दूसरे सामानों को एक में मिलवा देते हैं। फिर बच्चे एक रंग के गेंदों या सामानों को अलग करवाते हैं। हिंसक। चॉक के जरिए हम बच्चों से गोले बनवाते हैं। इससे मूवमेंट, जंप करवाने की एक्सरसाइज करवाते हैं। इसी प्रकार कई गतिविधियां कराते हैं।

WhatsApp Image 2021 05 22 at 3.24.44 PM घर के सामानों से स्पेशल बच्चों का ऑनलाइन कर रहे इलाज
डॉ सुमन रंजन
एक उम्र के बाद सुधार की गुंजाइश हो जाती है कम

डॉ प्रीति ने बताया कि जन्मजात न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर वाले बच्चों का अगर इलाज समय से शुरू नहीं हुआ तो 12-13 साल की उम्र के बाद सुधार की गुंजाइश कम हो जाती है। वहीं कई बच्चों में अब तो बाद में भी समस्याएं होने लगी हैं। ऐसे में नियमित इलाज से ही इसको ठीक किया जा सकता है।

Related posts

एक्शन मूड में आई दिल्ली पुलिस, टिकैत समेत 26 किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज की FIR

Aman Sharma

भाजपा ने दूसरी सूची में जारी किए 155 प्रत्याशियों के नाम

kumari ashu

कर्नाटक के लोगों को कन्नड़ भाषा सीखनी चाहिए- सीएम सिद्धारमैया

Pradeep sharma