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बर्थडे स्पेशल: भारत की युवा पीढ़ी को सिखाई जन आंदोलन की एबीसीडी

22 11 बर्थडे स्पेशल: भारत की युवा पीढ़ी को सिखाई जन आंदोलन की एबीसीडी

नई दिल्ली। अन्ना हजारे आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है। आज बच्चें बच्चें की जुंबा पर अन्ना का नाम सुनने को मिल जाएगा। गांधी जी के बाद अन्ना को दूसरा गांधी माना जाता है जो अंहिसा के धर्म पर चलकर ही अपनी बात को मनवाते हैं। हाल ही में अन्ना ने एक बार फिर आंदोलन किया था। अन्ना आज (15 जून) अपना जन्मदिन मना रहे हैं। आज हम अन्ना की जिदंगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातों को आप तक पहुंचाने जा रहे हैं जो उनकी जिंदगी से जुड़ी हुई हैं।

22 11 बर्थडे स्पेशल: भारत की युवा पीढ़ी को सिखाई जन आंदोलन की एबीसीडी

अन्ना का निजी जीवन

अन्ना का जन्म सन 1937 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के रालेगण सिद्धि गांव के एक मराठा किसान परिवार में हुआ था। अन्ना ने भ्रष्टाचार का विरोध करते हुए देश में कई सामाजिक आंदोलन किए हैं। अन्ना ने हमेशा ही देश के लिए समाज के लिए जो किया वो पूरी शिद्दत से और जनता की मदद से और जनता के हिट को ध्यान में रखकर किया और लोगों को इसका लाभ भी मिला, कुछेक मामलों में हालांकि उन्हें नाकामी मिली लेकिन वे हारे नहीं. आज भी नहीं। जब उन्हें मौका मिलता है, जनता की आवाज बुलंद करने वे सड़कों पर उतर जाते हैं।

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भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन

अन्ना ने सन 1991 देश के इतिहास में एक खास वर्ष के रूप में दर्ज है। इसी साल अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी की सरकार के कुछ ‘भ्रष्ट’ मंत्रियों पर जोरदार प्रहार करते हुए उन्हें हटाने की मांग उठाई और भूख हड़ताल पर चले गए। जिन मंत्रियों पर आरोप लगाए गए उनमें शशिकांत सुतर, महादेव शिवांकर और बबन घोलाप के नाम थे। अन्ना का आरोप था कि इन मंत्रियों ने सरकार में रहते हुए आय से अधिक संपत्ति बनाई।

सूचना का अधिकार आंदोलन

सूचना का अधिकार आज हमारे मौलिक अधिकारों में शामिल है जिस अधिकार की वजह से हम सरकार से या सरकारी कर्मचारी से कोई भी प्रश्न पूंछ सकते हैं जो कि सिर्फ और सिर्फ अन्ना हजारे की वजह से हुआ है। आरटीआई के पीछे अन्ना हजारे की बड़ी भूमिका थी। इस आंदोलन में और भी कई मशहूर हस्तियां रहीं लेकिन अन्ना का रोल अलहदा था, सबको साथ लेकर चलने वाला था।

बात 1997 की है जब अन्ना हजारे ने सूचना का अधिकार अधिनियम के समर्थन में मुंबई के आजाद मैदान से अपना अभियान शुरू किया। 9 अगस्त 2003 का वाकया खास रहा क्योंकि इस दिन वे मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन पर बैठ गए। यह आंदोलन लगातार 12 दिन तक चला और देश के कोने-कोने से लोगों का समर्थन मिला।  अन्ना समय समय पर देश के हिट के लिए और जनता के लिए सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहते हैं।

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