फतेहपुर: फतेहपुर जिले में 38 गौशालाएं हैं, जिनमें बेसहारा पशुओं को रखने के लिए प्रबंध किए गए हैं। मगर, उचित मॉनिटरिंग और देखरेख न होने के कारण यह बदहाल हो रही हैं। हालात तो यह हैं कि आवारा गौवंश इन्हीं गौशाला के बाहर घूमते रहते हैं। ऐसे में ये पशु न सिर्फ फसलों को बर्बाद कर रहे हैं बल्कि इनके रखरखाव के लिए खर्च की जाने वाली सरकारी पूंजी भी बर्बाद हो रही है।
जिले की जमलामऊ गौशाला में बदहाली चरम पर है। यहां का प्रवेश द्वार लावारिस पड़ा रहता है। इस गौशाला को चारों ओर से सुरक्षित भी नहीं किया गया है। ऐसे में मनमर्जी तरीके से आवारा जानवरों का आना-जाना बना रहता है। फोटो देखकर ही समझ आ रहा है कि गौशाला के आसपास के खेतों में आवारा पशु घूम रहे हैं। इनकी रोकथाम के लिए व्यवस्था न होने पर ये पशु मनमर्जी करते रहते है। इससे किसानों की फसलों का भी बड़ा नुकसान हो रहा है। मजबूरी में किसान इन पशुओं को सड़क किनारे या बीच सड़क पर छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे में इन पशुओं की वजह से ट्रैफिक प्रभावित होता है और कभी-कभी तो लोग दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं।
गौवंशों के खेतों में घूमने पर जांच
मामले पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरडी अहिरवार ने बताया कि, सभी गौशालाओं की उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग की जाती है। साथ ही गौवंशों के स्वास्थ्य के लिए सप्ताह में तीन दिन और आपातकाल में किसी भी समय डॉक्टर पहुंचते हैं। संबंधित बीमारी होने पर उनका उपचार भी होता है। उन्होंने बताया कि, जमलामऊ की गौशाला में करीब 200 के आसपास आवारा पशुओं के रखने की व्यवस्था है। ऐसे में यदि पशु गौशाला में न होकर खेतों में घूम रहे हैं तो गंभीर मामला है। इसपर रिपोर्ट मांगी जा रही है। इसी आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।