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अटल बिहारी वाजपेयी कलम के जादूगर,तो उनकी कविताएं निराशा में आशा भरने वाली हैं

atal poem अटल बिहारी वाजपेयी कलम के जादूगर,तो उनकी कविताएं निराशा में आशा भरने वाली हैं

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी न सिर्फ प्रखर राजनेता और ओजस्‍वी वक्‍ता हैं। बल्‍कि कलम के  जादूगर भी हैं। बाजपेयी ने अलग-अलग विषयों पर कई कविताएं लिखीं है। भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी कविताओं का प्रयोग अपने भाषणों बड़े ही शानदार लहजे में करते थे।इसी वाक् पटुता के कारण जनता ने जितना प्‍यार और सम्‍मान उन्‍हें बतौर पीएम और नेता के रूप में दिया उतना ही सम्‍मान उनकी कविताओं को भी मिला।

 

atal poem अटल बिहारी वाजपेयी कलम के जादूगर,तो उनकी कविताएं निराशा में आशा भरने वाली हैं
अटल बिहारी वाजपेयी कलम के जादूगर,तो उनकी कविताएं निराशा में आशा भरने वाली हैं

पूर्व पीएम इस समय जिंदगी और मोत से संघर्ष कर रहे हैं

अपको बता दें कि पूर्व पीएम इस समय जिंदगी और मोत से संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली के AIIMS  में उन्हें वेंटीलेटर में रखा गया है। देश में उनकी नाजुक तबियत की खबर से शोक का माहौल है। लोग उनके लिए दुआएं कर रहे हैं तो कही पर अनुष्ठाने भी कराए जा रहे हैं।AIIMS द्वारा जारी किए गए बुलेटिन में उनकी हालत में गिरावट बताई जा रही है। बाजपेयी ने जहां एक तरफ कुशल राजनीतिज्ञ है. वहीं वह काव्य प्रतिभा के भी धनी है उनकी कलम में राजनीतिक मरम और एकता अखंडता का भाव स्पष्ट तौर से देखा जा सकता है।

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कविताएं महज पंक्तियां नहीं बल्‍कि जीवन का दृष्टिकोण  समाज के ताने-बाने के साथ आगे चलने की प्रेरणा हैं

वाजपेयी  की कविताएं महज पंक्तियां नहीं बल्‍कि जीवन का दृष्टिकोण  समाज के ताने-बाने के साथ आगे चलने की प्रेरणा हैं।अटल की कविताएं उम्मीद जगान वालीं मार्मिक कविताएं देश के लोगों का हमेशा मार्गदर्शन करेंगी।बाजपेयी की कविताएं घोर निराशा में भी आशा की किरणें भरने वाली हैं। अटल बिहारी की ऐसी ही कुछ कविताएओं  के अंश हम आपको यहां पर उपलब्ध करा रहे हैं।

कविताएं

1-कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।।

 

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,

प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,

असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते,

पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।।

 

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन,

परहित अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में,

जलना होगा, गलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

 

2-हरी हरी दूब पर

ओस की बूंदे

अभी थी,

अभी नहीं हैं|

ऐसी खुशियां

जो हमेशा हमारा साथ दें

कभी नहीं थी,

कहीं नहीं हैं|

 

क्‍कांयर की कोख से

फूटा बाल सूर्य,

जब पूरब की गोद में

पाँव फैलाने लगा,

तो मेरी बगीची का

पत्ता-पत्ता जगमगाने लगा,

मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूं

या उसके ताप से भाप बनी,

ओस की बूंदों को ढूंढूं?

 

सूर्य एक सत्य है

जिसे झुठलाया नहीं जा सकता

मगर ओस भी तो एक सच्चाई है

यह बात अलग है कि ओस क्षणिक है

क्यों न मैं क्षण क्षण को जिऊं?

कण-कण में बिखरे सौन्दर्य को पिऊं?

 

सूर्य तो फिर भी उगेगा,

धूप तो फिर भी खिलेगी,

लेकिन मेरी बगीची की

हरी-हरी दूब पर,

ओस की बूंद

हर मौसम में नहीं मिलेगी।

 

3-खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया।

बंट गये शहीद, गीत कट गए,

कलेजे में कटार दड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।।

खेतों में बारूदी गंध,

टूट गये नानक के छंद

सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।

वसंत से बहार झड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।।

अपनी ही छाया से बैर,

गले लगने लगे हैं ग़ैर,

ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।

बात बनाएं, बिगड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।

 

4-क्षमा करो बापू! तुम हमको,

बचन भंग के हम अपराधी,

राजघाट को किया अपावन,

मंज़िल भूले, यात्रा आधी।

 

जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,

टूटे सपनों को जोड़ेंगे।

चिताभस्म की चिंगारी से,

अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।

 

maheshkumar 2 2 अटल बिहारी वाजपेयी कलम के जादूगर,तो उनकी कविताएं निराशा में आशा भरने वाली हैं

 महेश कुमार यदुवंशी 

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