featured देश भारत खबर विशेष

जानिए: अटल बिहारी वाजपेयी ने क्यों संबोधन में इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा’ कहा था

atal with indira जानिए: अटल बिहारी वाजपेयी ने क्यों संबोधन में इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहा था

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के जाने माने और एक अलग पहचान बनाने वाले दिग्गज नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक बनी हुई है। जिसकी वजह से भारत की राजनीति में शोक का माहौल बना हुआ है। अटल बिहारी का जिंदगी में कुछ पहलु ऐसे गुजरे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको उनके ऐसे ही कुछ पहलु के बारे में बताने जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीति जीवन बहुत की अटल गुजरा। राजनीति में अकसर देखने को मिलता है कि विपक्षी पार्टी और सत्ता में रहने वाली पार्टी के बीच जुबानी जंग हमेशा ठनी रहती है। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीति में ऐसा कुछ नहीं था। उन्होंने अपने दौर की राजनीति में विपक्ष के साथ भी उनका रव्या बहुत ही भावुक और जुड़ाव वाला रहा। उन्होंने कभी भी अपने भाषण में विपक्ष पर शब्दों के बाण नहीं चलाए।

atal with indira जानिए: अटल बिहारी वाजपेयी ने क्यों संबोधन में इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहा था

बता दें कि विपक्ष के साथ अटल बिहारी के रिश्ते इतने सहज थे कि 1971 में भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की पृष्‍ठभूमि में संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संबोधन में इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा’ कहकर संबोधित किया था। वह उस दौरान हालांकि विपक्ष के नेता थे लेकिन युद्ध में भारत की उल्‍लेखनीय सफलता और इंदिरा गांधी की भूमिका के कारण उनको ‘दुर्गा’ कहकर संबोधित किया था। उस युद्ध में बांग्‍लादेश का उदय हुआ और पाकिस्‍तान के 93 हजार सैनिकों को भारतीय सेना ने बंधक बनाया। हालांकि बाद के वर्षों में इस पर विवाद खड़ा हुआ कि क्‍या वाजपेयी ने ऐसा कहा था या नहीं? हालांकि उसके बाद सामने आया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐसा कुछ नहीं कहा था।

ये था अटल बिहारी वाजपेयी का नेहरू से नाता

1957 में जब अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर से पहली बार लोकसभा सदस्‍य बनकर पहुंचे तो सदन में उनके भाषणों ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बेहद प्रभावित किया। विदेश मामलों में वाजपेयी की जबर्दस्‍त पकड़ के पंडित नेहरू कायल हो गए। उस जमाने में वाजपेयी लोकसभा में सबसे पिछली बेंचों पर बैठते थे लेकिन इसके बावजूद पंडित नेहरू उनके भाषणों को खासा तवज्‍जो देते थे।

इन स्‍टेट्समैन नेताओं के रिश्‍तों से जुड़े कुछ किस्‍सों का वरिष्‍ठ पत्रकार किंगशुक नाग ने अपनी किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयी- ए मैन फॉर ऑल सीजन’ में जिक्र किया है। उन्‍होंने लिखा है कि दरअसल एक बार जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर आए तो पंडित नेहरू ने वाजपेयी से उनका विशिष्‍ट अंदाज में परिचय कराते हुए कहा, “इनसे मिलिए। ये विपक्ष के उभरते हुए युवा नेता हैं। मेरी हमेशा आलोचना करते हैं लेकिन इनमें मैं भविष्य की बहुत संभावनाएं देखता हूं। इसी तरह यह भी कहा जाता है कि एक बार पंडित नेहरू ने किसी विदेशी अतिथि से अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय संभावित भावी प्रधानमंत्री के रूप में कराया।

वहीं नाग ने अपनी किताब में 1977 की एक घटना का जिक्र किया है जिससे पता चलता है कि पंडित नेहरू के प्रति वाजपेयी के मन में कितना आदर था। उनके मुताबिक 1977 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री बने तो जब कार्यभार संभालने के लिए साउथ ब्‍लॉक के अपने दफ्तर पहुंचे तो उन्‍होंने गौर किया कि वह पर लगा पंडित नेहरू की तस्‍वीर गायब है। उन्‍होंने तुरंत अपने सेकेट्री से इस संबंध में पूछा। पता लगा कि कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर वह तस्‍वीर वहां से हटा दी थी। वो शायद इसलिए क्‍योंकि पंडित नेहरू विरोधी दल के नेता थे। लेकिन वाजपेयी ने आदेश देते हुए कहा कि उस तस्‍वीर को फिर से वहीं लगा दिया जाए।

Related posts

ग्रेटर नोएडा की लापता लड़कियां बिहार में मिली

Rani Naqvi

जाने क्या है यूपी में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की स्थिति, अब तक कितने संक्रमित

Rani Naqvi

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में शादी के कार्ड पर आई सपोर्ट सीएए लिखवाकर किया अनोखे तरीके से समर्थन

Rani Naqvi