उत्तराखंड में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के चलते इस वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई हैं. आंकड़ों में भले ही कमी आई हैं लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर हमेशा की तरह अधिक दुर्घटना होने का सिलसिला बरकरार हैं. यह भी देखा गया हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौत का प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं का हैं.
हल साल सैकड़ों लोगों की जाती हैं जान
राज्य में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों व्यक्तियों की जान चली जाती हैं. इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाने को कई प्रयास हुए हैं, लेकिन अभी तक इनमें खास सफलता नहीं मिल पाई हैं. यही कारण भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को हर राज्य में राज्य स्तरीय व जनपद स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति बनाने के निर्देश दिए हैं.
राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं की संख्या अधिक
सड़क सुरक्षा समिति द्वारा जब सड़क दुर्घटनाओं का अध्ययन किया गया तो यह बात सामने आई कि सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही हैं और मौत का प्रतिशत भी इनमें अधिक हैं.
तेज रफ्तार से बढ़ी सड़क दुर्घटनाए
इसका मुख्य कारण राष्ट्रीय राजमार्गों पर तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए अभी तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बन बन पाना हैं. इसके अलावा प्राथमिक चिकित्सा के अभाव में घायल भी दम तोड़ देते हैं. इसी को देखते हुए समिति ने भी कई संस्तुतियां की हैं. वहीं, उत्तराखंड में ही वर्ष 2019 और 2020 में अगस्त माह तक हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019 में राज्य मे कुल 1352 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 867 व्यक्ति मारे गए. इनमें से 673 यानी 49.78 प्रतिशत दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई, जिनमें 438 यानी 50.51 प्रतिशत व्यक्तियों की मौत हुई. इसी प्रकार वर्ष 2020 में कुल 585 सड़क दुर्घटनाएं हुई. इनमें 392 व्यक्ति मारे गए. इन कुल दुर्घटनाओं में से 262 यानी 44.78 प्रतिशत दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई. इनमें 200 यानी 51.25 प्रतिशत लोगों की मौत हुई हैं.
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