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World Malaria Day 2022: एक नहीं बल्कि कई तरह से होता है मलेरिया बुखार, जानिए बचाव के उपाय

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हर साल दुनिया भर में 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है। ताकि लोगों को मलेरिया बुखार के बारे में जागरूक किया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, भारत में अभी भी दुनिया भर के सभी देशों के मुकाबले मलेरिया के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में मलेरिया के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।

आप सभी जानते होंगे कि मलेरिया मच्छर द्वारा काटे जाने पर होने वाला एक परजीवी संक्रमण है। लेकिन आप में से अधिकतर लोगों को यह नहीं पता होगा कि मलेरिया एक नहीं बल्कि 5 तरह का होता है तो आइए जानते हैं अलग-अलग तरह के मलेरिया बुखार और उनसे बचाव के तरीके के बारे में

क्या है मलेरिया

मलेरिया बुखार मच्छरों के काटने से होने वाला एक संक्रमण रोग है। जो मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इस मादा मच्छर में खास तरह के परजीव पाए जाते हैं। इंद्रजीत को प्लाज्मोडियम विवेक्स कहा जाता है मलेरिया फैलाने वाले इन मदर मच्छरों की 5 प्रजातियां होती है। ऐसे में मलेरिया के बुखार को आम बुखार समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं कराया जाता तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। 

मलेरिया के लक्षण

मलेरिया बुखार में मरीजों को तेज बुखार और कपकपी होती है। बुखार आमतौर पर 24 घंटे से 48 घंटे के भीतर दिखना शुरू हो जाता है। इसलिए होता है क्योंकि मलेरिया की जुबान समय-समय पर रिलीज होते रहते हैं मरीज के लीवर से ब्लड और उसके बाद ब्लड सेल्स उस संक्रमित करते हुए वह कई तरह के टॉक्सिन बनाते हुए निकलते हैं। जिससे बार-बार तेज बुखार चढ़ता उतरता रहता है।

तेज बुखार, 

ठंड लगना, 

सर दर्द, 

बदन दर्द,

पसीना आना, 

मांसपेशियों में दर्द,

उल्टी, 

जी मिचलाना, 

कमजोरी

मलेरिया के प्रकार

मलेरिया मूल रूप से पांच प्रकार के होते हैं।

प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (plasmodium falciparum) 

मलेरिया की यह परजीवी अधिकतर दिन के वक्त काटते हैं। और उनके काटने के लगभग 48 घंटे के बाद असर दिखना शुरू हो जाता है। इस रोग से पीड़ित लोगों में तेज बुखार के साथ सिर दर्द, कमर दर्द, हाथ पैर में दर्द, भूख ना लगने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर कोई व्यक्ति प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम परजीव से संक्रमित हैं तो वह बेहोश भी हो सकता है। मरीज को ठंड के साथ कंपकपी हो सकती है।

 मलेरिया अगर बिगड़ जाता है तो उसके कारण पीलिया, लीवर, किडनी, अमीनिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम मलेरिया सबसे आम तरह का मलेरिया होता है और इससे संक्रमित मलेरिया मरीजों की सबसे अधिक दुनिया भर में मौत होती हैं।  

सोडियम विवैक्स  (sodium vivax) 

इस परजीव से संक्रमित लोगों में सबसे अधिक बुखार देखने को मिलता है। इसकी काटने से बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा होता है। जिसका असर तीसरे दिन यानी 48 घंटे के बाद दिखना शुरू हो जाता है।

प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (Plasmodium ovale malaria)

प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया बिनाइन टर्शियन पैदा करता है और असामान्य होता है। बिना लक्षण दिखाएं यह व्यक्ति के लिवर में वर्षों तक रह सकता है।

प्लास्मोडियम मलेरिया (plasmodium malaria)

प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है जो एक अन्य प्रकार के बिनाइन टर्शियन के लिए जिम्मेदार होता है। इस तरह का मलेरिया फैल्सीपैरम या सोडियम विवैक्स जितना घातक नहीं होता है।

प्लास्मोडियम नोलेसी (plasmodium knowlesi)

यह मलेरिया पूर्व एशिया में पाए जाने वाला एक प्राइवेट ले लिया परजीव है। जिसके काटने से मरीज को ठंड लगने के साथ बुखार रहता है। 

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