नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। वाममोर्चा सरकार के कार्यकाल से शुरू हुआ कर्ज लेने का सिलसिला जारी है। इसी बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कठोर कदम उठाते हुए सरकारी फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने का फैसला लिया है। उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों के यात्रा और भोजन पर किए गए खर्चों में कटौती के निर्देश दिए हैं।
“एक व्यक्ति, एक वाहन” नीति का हो पालन
ममता ने वीरवार को राज्य सचिवालय नवान्न में अपने मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान सीएम ने सबको सख्ती से “एक व्यक्ति, एक वाहन” नीति का पालन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि एक से अधिक विभागों को संभालने वाले कुछ मंत्रियों और नौकरशाहों को कई वाहन मिल रहे हैं। यह तुरंत बंद होना चाहिए और प्रत्येक के लिए केवल एक वाहन आवंटित किया जाएगा। इसके साथ ही बनर्जी ने यह भी घोषणा की कि नौकरशाहों और मंत्रियों के विदेशी दौरे पर कोई प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा जब तक कि वह मंजूरी न दे।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा कि सरकारी फंड आम जनता के लिए है। जनता के पैसों से अनावश्यक खर्च करने व विलासिता की छूट नहीं दी जा सकती है। हम जो भी बचत करेंगे, उसका विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल हमें कर्ज चुकाने के लिए 46,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा और सरकारी कर्मियों का महंगाई भत्ता देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की जरुरत होगी। ममता ने कहा कि फिजूलखर्ची रोकने के लिए विभागीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।