क्या आपको पता दुनिया के इतिहास में एक व्कत ऐसा भी आया जब धरती चंद्रमा गायब हो गया था। और वो भी हफ्ते दो हफ्ते के लिए नहीं बल्कि महीनों के लिए सुनने में आपको थोड़ा सा अजीब लग सकता है।लेकिन ये सच है। ये 1100 वीं सदी की है। जब धरती से अचानक से चंद्रमा गायब हो गया था और लोगों को डर लगा रहा था किस कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।
चलिए आपको बताते हैं उस वक्त लोग चंद्रमा के बिना कैसे रहते थे?इतिहासकारों ने भी कई जगह 11वीं सदी के 1108वें और 1109वें साल को विनाशकारी वर्ष के रूप में उल्लेखित किया था।उस समय धरती पर महीनों तक रात में घना अंधेरा रहता था। दिन में भी सूरज की हल्की रोशनी ही आती थी।
चूंकि उस दौरान चांद को देखकर ही लोग रात में समय का पता लगाते थे इसलिए उन्हें किसी अनहोनी आशंका ने बुरी तरह डरा दिया था।अब स्विट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चांद के महीनों तक गायब रहने के पीछे छिपे कारण का उन्होंने पता लगा लिया है।
उन्होंने कहा कि 1104 में आइसलैंड में स्थित ज्वालामुखी हेकला में भयानक विस्फोटों के कारण भारी मात्रा में सल्फर गैस और राख निकली थी।
इस राख ने ठंड के मौसम में हवा में घुलकर धरती के वायुमंडल को जाम करना शुरू कर दिया था।चार साल बाद पृथ्वी का स्ट्रैटोस्फीयर इसकी राख के कारण पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया था। जिसके कारण चांद की रोशनी धरती तक नहीं आ पाती थी। इसलिए उन दिनों चारों तरफ अंधेरा छा गया था।इंग्लैंड के इतिहास से संबंधित ऐतिहासिक किताब में लिखा है कि 1109 में खराब मौसम के कारण पेड़-पौधे सूख गए थे।फसलें बर्बाद हो गईं थीं। गर्मियों के दिनों में तापमान -1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इस अजब घटना का अब जाकर खुलासा हुआ है।
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तो देखा आपने धरती पर ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई ऐसी घटना घटि हो आज से पहले कई बार इंसान को चौंका देने वाली घटनाएं घट चुकी हैं।