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विजयदशमी के त्यौहार पर क्यों खाते हैं पान,जानें क्या है इसका महत्व..

पूरे भारत  में मनाया जाने वाला ‘असत्य पर सत्य की जीत’ का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा है। विजयदशमी का त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज के दिन अस्त्र-शस्त्र का पूजन और रावण दहन के बाद बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा है। दशहरे के से जुड़ी कुछ और बातें हैं इस त्यौहार को खास बनाती हैं। आइए जानते हैं कि दशहरे को कैसे बेहतर तरीके से मनाते और इससे जुड़ी मान्यताएं।

 

विजयदशमी के त्यौहार पर क्यों खाते हैं पान,जानें क्या हैं इसका महत्व..
विजयदशमी के त्यौहार पर क्यों खाते हैं पान,जानें क्या हैं इसका महत्व..

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दशहरे के दिन पान का बीड़ा हनुमानजी के चढ़ाना और उसके बाद उसको खाना शुभ होता है हनुमान जी की कृपा होती है।बता दें कि पान हनुमाजी को बहुत पसंद है। आज के दिन अपने आराध्य को स्मरण करके पान का बीड़ा खाते और दूसरों को भी खिलाते हैं।हिंदू राजा महाराज इस दिन युद्ध के लिए रणनीति तैयार करते थे और युद्ध स्थल के लिए रवाना होते थे। ऐसा हही एक उदाहरण है बुंदेलखंड के चंदेल वंश के प्रसिद्ध सैनिक आल्हा ऊदल का है। प्रसिद्ध काव्य खंड ‘आल्हा खंड’ में मान्यता है कि आल्हा आज भी अमर हैं और दशहरा को महियर की मां शारदा को पान चंड़ाते हैं।पान का दशहरे में काफी महत्व है। इसे शुभ कार्यो में प्रयोग भी करते है।

दशहरे में रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परम्परा

आपको बता दें कि पान को जीत का प्रतीक माना गया है।इतना ही नहीं पान का ‘बीड़ा’ शब्द का एक महत्व यह भी है इस दिन हम सही रास्ते पर चलने का ‘बीड़ा’ उठाते हैं।पान प्रेम का पर्याय है दशहरे में रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परम्परा है। ऐसा माना जाता है दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत का जश्न मान रहे हैं।विद्वानों का मानना है कि पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है।इसलिए हर शुभ कार्य में इसका प्रयोग किया जाता है।

पान का पत्ता पाचन की प्रक्रिया को सही करता है

नवरात्रि पूजन के दौरान भी मां को पान-सुपारी अर्पित करते हैं। इसी के साथ पान के पत्ते का उपयोग शादी-विवाह से लेकर सभी पूजा पाठ में होता है। आपको बता दें कि पान खान के पीछे और भी कई कारण हैं, माना जाता कि शारदीय नवरात्रि के वातावरण परिवर्तन होता है। इस समय संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में यह परम्परा लोगों को बीमारियों से बचाने में कारगर होती है।  बता दें कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी माना जाता है कि नौ दिन के उपवास के बाद लोग अन्न ग्रहण करते हैं जिसके कारण उनकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। पान का पत्ता पाचन की प्रक्रिया को सामान्य बनाए रखने में सहायक होता है।आज दशहरा है। सनातन परंपरा का यह बहुत खास पर्व है। बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।

महेश कुमार यादव

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