मथुरा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को मथुरा पहुंचकर वृंदावन कुंभ/वैष्णव बैठक का शुभारंभ कर दिया। हरिद्वार महाकुंभ से पहले ब्रज भूमि पर शुरू हुआ वृंदावन कुंभ बैठक मेला 40 दिन तक चलेगा।
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वृंदावन कुंभ/वैष्णव बैठक में सीएम योगी ने कहा कि, ‘कोरोना के बीच इस आयोजन को कराना एक चुनौती थी, लेकिन यहां के अधिकारियों ने साधु-संतों के साथ मिलकर एक कार्ययोजना बनाई और कुंभ के स्वरूप में भव्यता और दिव्यता का संदेश इस कोरोना काल में भी दे रहे हैं।’
16 फरवरी को वृंदावन कुंभ में होगा पहला स्नान
यमुना नदी किनारे वृंदावन कुंभ बैठक मेले का आयोजन उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद करा रहा है। इसमें देशभर से हजारों साधु-संत शामिल होंगे, जिसके लिए राज्य सरकार ने भव्य व्यवस्थाएं की हैं। वृंदावन कुंभ बैठक मेले में पहला शुभ स्नान दिवस वसंत पंचमी के दिन 16 फरवरी को होगा।
शाही स्नान की तारीखें
वृंदावन मेले में पहला शाही स्नान माघ पूर्णिमा 27 फरवरी को होगा। दूसरा शाही स्नान फाल्गुन कृष्ण पक्ष 9 मार्च को होगा, जबकि तीसरा शाही स्नान अमावस्या 13 मार्च को होगा। इस मेले का समापन रंगभरनी एकादशी को पंचकोसीय वृंदावन की परिक्रमा के साथ होगा।
पेयजल की उचित व्यवस्था
मेला अधिकारी और ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप के मुताबिक, वृंदावन मेले में पीने के लिए गंगा जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। प्रयास यह भी है कि कुंभ बैठक के दौरान यमुना नदी में गंगा के पानी के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित किया जाए। निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए बिजली विभाग द्वारा मेला क्षेत्र में एक सब-स्टेशन स्थापित किया गया है।
अनूठे गांव में दिखेगी ब्रज संस्कृति की झलक
40 दिवसीय कुंभ मेले में ब्रज संस्कृति पर आधारित अनूठा गांव बसाया जाएगा। इसमें ब्रज की प्राचीन धरोहर, पुरातत्व अवशेष, स्थल, ललित कला और धार्मिक महत्व से जुड़े स्थलों की तस्वीरें नजर आएंगी। ब्रज संस्कृति गांव में प्रदर्शनी लगाई जाएगी। मेला क्षेत्र में अस्थायी पुलिस लाइन, पत्रकारों के लिए शिविर और स्नान के लिए अस्थायी घाट बनाए गए हैं।
मेला क्षेत्र में डिस्पेंसरी और कंट्रोल रूम की भी व्यवस्था
कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। कुंभ बैठक में आने वाले संतों और श्रद्धालुओं के लिए तीन डिस्पेंसरी खोली जाएंगी, जो 24 घंटे खुलेंगी। डिस्पेंसरी में आपातकालीन वार्ड के साथ-साथ एंबुलेंस भी कुंभ मेले में तैनात रहेंगी। वृंदावन के जिला संयुक्त चिकित्सालय में भी आपातकालीन व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं। साथ ही मेले में एक कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है।
वृंदावन कुंभ के बारे में
दरअसल, कुंभ आयोजन के लिए हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक ही निर्धारित हैं। ऐसे में वृंदावन कुंभ के बारे में लोगों को कम जानकारी है। आपको बता दें कि इसे दिव्य कुंभ या वैष्णव कुंभ भी कहते हैं। संत समाज बताते हैं कि यहां कुंभ लगने की परंपरा बहुत पुरानी है। हालांकि, ऐतिहासिक तथ्य पर इसकी प्राचीनता की गणना स्पष्ट नहीं है। वैष्णव साधक वृंदावन में एकजुट होकर यहीं से हरिद्वार महाकुंभ के लिए रवाना होते हैं।
वृंदावन कुंभ का इतिहास है रोचक
वृंदावन में आयोजित होने वाले कुंभ बैठक मेला का रोचक इतिहास रहा है। यहां कभी हाथियों के रेले निकला करते थे। सांप-अजगर इस मेले का आकर्षण हुआ करते थे। इसके अलावा संतों की विशेष सवारियां भी होती थीं। वृंदावन के लिए यह हाथी साधु-संतों के बीच कौतूहल का विषय बनते थे। हालांकि, बताया जाता है कि वर्ष 1986 में आयोजित कुंभ में यहां एक हाथी उत्तेजित हो गया था, जिसे बड़ा हादसा हो गया था। उसी के बाद से यहां हाथी नहीं लाए जाते।
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