प्रयागराज: ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ वर्ष पहले तक भारी संख्या में तालाब हुआ करते थे। जो लोगों के कपड़ा धोने के साथ-साथ और भी तमाम कार्यों में सहायक होती थी। साथ ही मांगलिक कार्यों के दौरान में तालाबों की पूजा भी की जाती थी।
22 तालाबों पर कब्जा
प्रयागराज के बीदा गांव में देखने को मिला है। जहां गांव में कुल 22 तालाब है जिस पर ज्यादातर गांव वालों का कब्जा है । जिस पर गांव वाले अपना अपना घर बना कर स्थाई रूप से निवास करना शुरू कर दिया है । बाकी तालाब के शेष बचे जमीनों पर गांव के वही लोग कब्जा का विस्तार बढ़ाते हुए उस पर जुताई बुवाई करना शुरू कर दिया है।
जमीनों को पाट कर शुरू कर दी खेती
समय का साथ ग्रामीण क्षेत्रों की जैसे-जैसे आबादी तेजी के साथ बढ़ती गई लोगों ने गांव के तालाबों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। यहां तक की लोगों ने तालाबों को पाटकर जमीन का विस्तार करके वहां पर मकान बना लिया, और शेष बचे जमीनों पर जुताई-बुवाई करना शुरू कर दिए। परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे गांव से तालाबों का नामोनिशान मिटता जा रहा है।
1959 कई बीघा था तालाब
बीदा गांव के पूर्व प्रधान पति पवन मिश्रा ने बताया कि गांव में कुल 22 तालाब है। सभी तालाबों पर ग्रामीणों ने अपना-अपना कब्जा कर रखा है । 1959 फसली वर्ष में तालाब कई बीघा का था।
प्रशासनिक अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई
1975 में चले भूदान आंदोलन में इकाइयों ने तालाबों को अपने-अपने नाम करा लिया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर हंडिया उप जिलाधिकारी के पास इस संबंध में शिकायत की गई है। लेकिन इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों के रुचि ना लेने की वजह से इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।