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फतेहपुर: गर्भगृह में प्रवेश और शिवलिंग छूने पर लग सकती है रोक

गर्भगृह में प्रवेश और शिवलिंग छूने पर लग सकती है रोक

फतेहपुर: शिव भक्तों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने जहां कांवड़ यात्रा निरस्‍त कर दी है तो वहीं जिले के सिद्धपीठ तांबेश्वर मंदिर प्रशासन भी अपनी योजनाओं को लेकर 21 जुलाई को बैठक कर रहा है। संभावना है कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और शिवलिंग छूने पर मनाही हो सकती है। हालांकि, दर्शन पर रोक लगाने की फिलहाल योजना नहीं है। साथ ही जिला प्रशासन और प्रबंधन की गाइडलाइन के अनुसार दर्शन की योजना तय होगी।

कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सावन के पवित्र माह में होने उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। इसके बाद सावन के पवित्र माह में होने वाली कांवड़ यात्रा नहीं होगी। मामले को देखते हुए सिद्धपीठ ताम्बेश्वर मंदिर प्रशासन 21 को बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा, जिसमें सावन पर्व पर शिवभक्तों को दर्शन कराने की योजना पर चर्चा होगी।

आईएमए की चेतावनी के बाद सरकार भी अलर्ट

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना को देखते हुए सरकारों से धार्मिक यात्राओं पर रोक लगाने की अपील की थी। साथ ही आम लोगों से भी विशेष सावधानी बरतने को कहा था। इसके बाद से ही धार्मिक यात्राओं पर रोक लगाने की योजनाओं पर चर्चा होने लगी थी, जबकि कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा होने के आदेश दिए थे। जिसे लेकर प्रशासन-पुलिस सक्रिय हो गया था और कांवड़ियों के लिए तमाम प्रबंध किए जाने लगे थे। जिसमें यात्रा मार्ग दुरुस्तीकरण से लेकर कई व्यवस्थाएं शामिल थीं। लेकिन अचानक ही उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया साथ ही किसी भी कांवड़िए के उत्तराखंड आने पर 14 दिन के क्वारन्टीन सेंटर भेजने का आदेश जारी कर दिया।

इन्हीं सबको देखते हुए और कोरोना वायरस के विस्तार पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी। इससे जिले का मंदिर प्रशासन भी भविष्य की योजनाओं को लेकर चिंतित है। ऐसे में सावन के पवित्र माह के दौरान शिव भक्तों को सावधानी और सुरक्षा के साथ बाबा भोलेनाथ के दर्शन हो सके इसके लिए मंदिर प्रशासन सक्रिय हो गया है।

कोविड प्रोटोकॉल के साथ होगा भक्‍तों का प्रवेश

बैठक में कोविड प्रोटोकॉल के साथ भक्तों को मंदिर में प्रवेश कराने से लेकर मॉस्क, सैनेटाइजर का उपयोग करते हुए सुरक्षा देने की योजना होगी। साथ ही मंदिर के पुजारियों को मास्क और अन्य सुरक्षा के साथ गर्भ गृह में तैनात किया जाएगा। मंदिर में प्रवेश के बाद सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसी तरह बाहर भी डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य किया जा सकता है।

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