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PCS अधिकारियों की वरिष्ठता पर फिर सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार

PCS अधिकारियों

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी शासन में अभी तक PCS अधिकारियों की वरिष्ठता को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कुछ अंश वरिष्ठता को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे है। जिसके चलते निर्णय नहीं हो पाया हैं। सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट से संबंधित आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया हैं। उत्तराखंड में साल 2010 से ही सीधी भर्ती और पदोन्नत PCS के बीच वरिष्ठता का विवाद चल रहा हैं।

साल 2000 में हुआ उत्तराखंड का गठन

साल 2000 में जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना था, तब यूपी से काफी कम PCS अधिकारी उत्तराखंड आये थे। अधिकारियों की कमी को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने तहसीलदार और कार्यवाहक तहसीलदारों को पदोन्नति देकर उपजिलाधिकारी (SDM) बना दिया था। यह कार्य साल 2003 से 2005 तक चला।

2005 में 20 PCS अधिकारियों का हुआ था चयन

साल 2005 में सीधी भर्ती से 20 PCS अधिकारियों का चयन हुआ। विवाद की स्थिति तब पैदा हुई, जब उत्तराखंड सरकार ने अधिकारियों की पदोन्नति के लिए साल 2010 में एक सीधी भर्ती और एक तदर्थ पदोन्नति का फॉर्मूला तैयार कर आपत्तियां मांगी। पदोन्नत PCS अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताते हुए पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।

सीधी भर्ती वालों ने फैसले को अपने हक में बताया

इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। सीधी भर्ती वालों ने इसे अपनी जीत बताया और सरकार से इसी आधार पर पदोन्नति करने की मांग की। वहीं पदोन्नत PCS ने इसी आदेश के एक अंश का उल्लेख करते हुए इसे अपने हक में बताया।

सरकार गई सुप्रीम कोर्ट

काफी विचार विमर्श के बाद सरकार ने अब इस मामले में फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण ली हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया हैं कि वह आदेश को लेकर स्थिति स्पष्ट करें।

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