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बलरामपुर का ये मंदिर है अनोखा, माता सीता से जुड़ी है मान्यता

बलरामपुर का ये मंदिर है अनोखा, माता सीता से जुड़ी है मान्यता

लखनऊ: बलरामपुर के देवीपाटन मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक कहलाता है। ये माता का ओजस्वी मंदिर है। इस मंदिर की अपनी महिमा है। मंदिर में देवी मां की मूर्ति जागृत प्रतीत होती है। कहते हैं कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वो माता रानी अवश्य ही पूर्ण करती हैं।

हर साल लगता है मेला 

चैत्र नवरात्र में जहां यहां पर हर साल एक महीने का मेला लगता है, वहीं शारदीय नवरात्र में यहां नौ दिन तक मां के जयकारे लगाए जाते हैं।

बलरामपुर का ये मंदिर है अनोखा, माता सीता से जुड़ी है मान्यता

वहीं मां के दर्शन की विशेष व्यवस्था होती है। जिले के तुलसीपुर स्थित इस मंदिर में नवरात्र के दिनों में छटा देखते ही बनती है। माता के मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां पर देश से ही नहीं विदेशों से भी भक्त माता का दर्शन करने आते हैं।

ये है कथा

कहते हैं कि यहां पर माता सती का वाम, स्कंध और पट गिरा था। इसलिये ये स्थल सिद्ध पीठ बन गया। पूरी कथा के अनुसार भगवान शिव से शादी करने के कारण राजा दक्ष प्रजापति अपनी बेटी सती से नाराज रहते थे।

बलरामपुर का ये मंदिर है अनोखा, माता सीता से जुड़ी है मान्यता

एक बार उन्होंने एक बहुत बड़ा आयोजन किया और एक विशाल यज्ञ रखा। इस यज्ञ में उन्होंने संभ्रांत राजाओं के अलावा विभिन्न देवताओं को भी न्योता दिया लेकिन बेटी से नाराज होने के कारण उन्होंने शिवजी को इस कार्यक्रम में निमंत्रण नहीं भेजा।

माता सती ने किया था आत्मदाह

इससे नाराज होकर सती माता अपने पिता से क्रोधित हो गईं और उन्होंने यज्ञ में जल रही अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। इससे उनका पूरा शरीर जल गया। जब भगवान शिव को ये बात पता चली तो वो क्रोधित हो गए और माता सती के शांत शरीर को अपनी गोद में लेकर तांडव नृत्य करने लगे।

बलरामपुर का ये मंदिर है अनोखा, माता सीता से जुड़ी है मान्यता

इसको देखकर पूरी धरती कांपने लगीं। सृष्टि का अंत करीब आ गया। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के 108 टुकड़े कर दिए। माता सती के शरीर के ये अंग और आभूषण जहां-जहां गिरे वो स्थान शक्ति पीठ कहलाए। देवीपाटन में माता सती का वाम स्कंध गिरा था।

मां सीता ने किया था पाताल में प्रवेश

वहीं एक मान्यता ये भी है कि यहीं से माता सीता ने पाताल में प्रवेश किया था। इसलिए ये स्थान शुरुआत में पातालेश्वरी कहलाया और बाद में ये पाटेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। हालांकि माता सती के आराधना स्थल के कारण इस स्थल की ज्यादा मान्यता है।

कोविड गाइडलाइन का करें पालन

नवरात्र का त्यौहार पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्र पर विभिन्न शक्तिपीठों और दुर्गा मंदिरों में भक्त मां के दर्शन करने जा रहे हैं। मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लग रही है, ऐसे में भारत खबर आपसे खास अपील करता है कि आप मंदिर में जाएं तो मास्क अवश्य पहनें। इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन का पालन जरूर करें। जय माता दी।

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