नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने दमदार भाषणों और एक सुंदर व्यक्तित्व के तौर पर वो हमेशा याद किए जाएंगे। उनके जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिनसे आम तौर पर कोई भी इंसान हताश-निराश हो जाता है।
पहली घटना
बात 1975 की है जब देश में आपातकाल लगा था। तब इंदिरा गांधी की खूब आलोचना हुई थी और यही कारण था कि 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी और उसके अलावा देश में पहली गैर-कांग्रेसी जनता पार्टी सरकार बनी थी। कांग्रेस ने तब इंदिरा गांधी को पार्टी का नंबर वन नेता बताया था। इसपर वाजपेयी जी ने कटाक्ष करते हुए कहा था ‘इंदिरा गांधी नंबर एक, नंबर दो कौन है? नारी नंबर एक, बाकी सब दस नंबरी’।
दूसरी घटना
दूसरी घटना भी इंदिरा गांधी के ही संदर्भ में है। एक बार इंदिरा गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना करते हुए कहा था कि वो बहुत हाथ हिला-हिलाकर बात करते हैं। इसपर अटल जी ने जवाब दिया था ‘वो सब तो ठीक है, आपने (इंदिरा गांधी) किसी को पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या’।
तीसरी घटना
तीसरी घटना 1979 की है जब अटल बिहारी वाजपेयी आगरा गए हुए थे। तब देश में दाल का संकट छाया हुआ था। तब उन्होंने कहा था कि दाल भी मेरी ही तरह है। अगर घर में मेहमान आ जाएं तो ‘तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी’ जैसी स्थिति हो जाती है।
चौथी घटना
चौथी घटना 1980 की है जब हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भजन लाल ने अपने समर्थकों सहित जनता पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। तब वाजपेयी जी ने उनपर चुटकी लेते हुए कहा था ‘भजनलाल पूरी भजन मंडली सहित कांग्रेस में कीर्तन करने चले गए’।
पांचवी घटना
पांचवीं घटना 1985 की है जब ग्वालियर में लोकसभा चुनाव में 45 हजार वोटों से पिछड़ने के बाद अपनी पराजय स्वीकार करते हुए वाजपेयी जी ने सिंधिया को को बधाई दी थी और अपने समर्थकों से कहा था- भूखे भजन न होय गोपाला, चल चलें चंबल की शाला। (दरअसल, उनके साथ उनके समर्थक भी काफी देर से भूखे-प्यासे बैठे थे)। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था- बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम।