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जानिए वाजपेयी क्यों सभी नेताओं से अलग थे !

AIMIM के पार्षद सैयद मतीन ने वाजपेयी की श्रद्धांजलि का किया विरोध,लोगों ने जमकर पीटा

नई दिल्ली:  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। भारतीय राजनीति में वाजपेयी की ऐसी शख्सियत थे कि सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक नेता उनका कायल था। इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय बीजेपी से नफरत करता पर अटल बिहारी वाजपेयी से मुहब्बत करता था। वाजपेयी के अंदाज और खूबियां उन्हें बीजेपी के भारत के दूसरे नेताओं से अलग करती हैं।

 

वाजपेयी के अंतिम दर्शन के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के वरिष्ठ नेता भारत पहुंचेंगे

 

कुशल वक्ता

 

वाजपेयी को शब्दों का जादूगर माना जाता था। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों उनकी वाकपटुता और तर्कों के कायल थे। वाजपेयी के असाधारण व्‍यक्तित्‍व को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा। नेहरू ने 1961 में वाजपेयी को नेशनल इंटेग्रेशन काउंसिल में नियुक्ति दी थी।

 

उदारवादी व्यक्तित्व

 

अटल बिहारी वाजपेयी संघ से राजनीति में आए थे। बावजूद इसके उन्होंने अपने आपको किसी विचारधारा के रूप में स्थापित नहीं होने दिया। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक के बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था। कश्मीर को लेकर अटल नीति को लेकर आज भी बात होती हैं, जिसमें उन्होंने जम्‍हूरियत, कश्‍मीरियत और इंसानियत की बात की थी।

 

 

कवि हृदय

 

अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में एक राजनेता से कहीं ज्यादा एक कवि रहते थे। उनकी कविताओं का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता रहा। इसीलिए जब उन्होंने अंतिम सांस ली तो लोगों सोशल मीडिया पर वाजपेयी की कविताओं को अपनी वॉल पर लगाया।

 

राजधर्म का संदेश

 

वाजपेयी में अपने पराए का भेद किए बिना सच कहने का साहस था। इसमें वो तनिक भी नहीं हिचकिचाते थे। गुजरात दंगों के समय तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के लिए दिया गया बयान आज भी मील का पत्थर है। उन्होंने कहा था कि मेरा संदेश है कि वह राजधर्म का पालन करें।

 

साहस भरी शख्सियत

 

अटल बिहारी वाजपेयी साहस भरा कदम उठाने से गुरेज नहीं करते थे। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण उनकी इसी सोच का परिचायक है। उन्होंने कभी दुनिया के सामने घुटने नहीं टेंके। उन्होंने कहा था कि भारत मजबूत होगा तभी आगे जा सकता है। दुनिया के कई देशों ने भारत के परमाणु परीक्षण का विरोध किया लेकिन वो हार नहीं माने और उन्होंने करके दिखाया।

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