पूरी दुनिया को कोरोना में उलझाकर चारों तरफ फैलने के सपने पाल रहा चीन सीधे तौर पर अमेरिका के निशाने पर आ गया है। वैसे अमेरिका और चीन के बीच का विवाद नया नहीं है । लेकिन अमेरिका ने नया मुद्दा उठाकर चीन की छाती पर सांप लोटा दिये हैं। जिसकी वजह से चीन और अमेरिका का बीच जंग के हालात बन आये हैं। क्योंकि अमेरिका ने चीन में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे शोषण को देखते हुए चीन के बड़े अधिकारियों पर अमेरिका आने पर रोक लगा दी है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक बयान में कहा, चीन उइगरों, जातीय कजाख लोगों व शिनजियांग के अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रहा है। वह मनमानी सामूहिक हिरासत, जबरन आबादी नियंत्रण तथा उनकी संस्कृति और मुस्लिम आस्था को मिटाने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका द्वारा चीन के तीन राजनेताओं पर लगाए गए प्रतिबंध से चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है। इससे गुस्साए चीन ने अमेरिका को जवाबी कार्रवाई की धमकी तक दे डाली है।अमेरिका ने मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुस्लिम, कजाक तथा अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने को लेकर जिन नेताओ पर प्रतिबंध लगाया है उनमें चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े चेन कुआंगू, झु हाइलुन और वांग मिंगशान शामिल हैं।
चीन में किन हालातों में जी रहे मुस्लिम..
चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों की आबादी प्रमुखता से है। लेकिन, यह क्षेत्र उनके लिए किसी बंदीगृह की तरह होकर रह गया है। यहां उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। हजारों उइगरों को हिरासत में रखा गया है और चीन सरकार लगातार उन पर नजर रख रही है।
साल 2018 में न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार निगरानी संस्था ने चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के व्यवस्थित अभियान का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट को लेकर बीजिंग ने शिंजियांग में लगाए जा रहे शिविरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र बताया था।
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जिसको लेकर अब अमेरिका ने कदम उठाये हैं। अमेरिका के प्रतिबंध से चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है। और अमेरिका पर कार्रवाई करने की धमकी दे रहा है।