नई दिल्ली। भारत में प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण संबंधित विज्ञापनों को गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसे सर्च इंजन से 36 घंटे के अंदर हटाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इन वेबसाइट की निगरानी के लिए एक नोडल एजेंसी बनाई जाए। इस एजेंसी के पास लोग ऐसी सामग्री की शिकायत कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसे हालात हो गए हैं कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। लड़का कैसे होगा और लड़की कैसे होगी? ऐसी जानकारी की देश में कोई जरूरत नहीं।
कोर्ट की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे मामलों की निगरानी के लिए एक नोडल एजेंसी का गठन करे जो टीवी, रेडियो और समाचार पत्रों में विज्ञापन देगी कि यदि किसी व्यक्ति को ऐसी कोई जानकारी मिलती है जिसमें प्रसव पूर्व चरण में लिंग की पहचान की जाती है तो वह इसे नोडल एजेंसी के संज्ञान में लायेगा।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 17 फरवरी को आगे विचार करेगी। न्यायालय ने कहा कि यह अंतरिम व्यवस्था प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापनों के मसले पर उसके समक्ष पूरी बहस होने तक जारी रहेगी।