नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटी कांग्रेस को सोमवार को तगड़ा झटका लगा। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के इस प्रस्ताव को ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि इसका कोई प्राय नहीं है और न ही सीजेआई के खिलाफ कोई ठोस सबूत मौजूद है। साथ ही उपराष्ट्रपति ने महाभियोग को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया। वहीं अब इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार नहीं चाहती कि कदाचार के जो आरोप सामने आए हैं उनकी जांच की जाए। कांग्रेस को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में उसकी बात सुनी जाएगी और इसका प्रधान न्यायधीश से कोई लेना देना नहीं होगा क्योंकि वहां इसके संवैधानिक पहलुओं पर गौर किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में मामला ले जाने की जानकारी देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सभापति ने कोई जांच कराए बिना ही इस नोटिस को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि इस तरह से प्रस्ताव को खारिज करना असंवैधानिक, गैरकानूनी,गलत सलाह पर आधारित फैसला है। उन्होंने सवाल उठाए कि आखिर सभापति ने आरोपों की जांच से पहले उनके गुण दोष पर फैसला कैसे कर लिया? उन्होंने कहा कि जांच समिति को आरोप साबित करने न करने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि इसकी जांच हो। सरकार जांच को दबाना चाहती है। सरकार का रुख न्यायपालिका को नुकसान पहुंचाने वाला है।
उन्होंने कहा कि सभापति नायडू के फैसले से लोगों का विश्वास चकनाचूर हुआ है। सिब्बल ने कहा कि हम उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। हमें भरोसा है कि जब याचिका दायर होगी तो इससे प्रधान न्यायाधीश का कुछ लेनादेना नहीं होगा। सिब्बल ने कहा कि 64 सांसदों ने सोच-विचार करके महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था और इसमें प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ जिन आरोपों का उल्लेख किया गया था वो बहुत गंभीर हैं।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस किसी पार्टी की तरफ से नहीं, राज्यसभा के 64 सदस्यों की ओर से दिया गया था। आगे इन सदस्यों की ओर से ही शीर्ष अदालत में अपील दायर की जाएगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील को खारिज किए जाने की सूरत में पार्टी के अगले कदम संबंधी सवाल पर सिब्बल ने कहा कि हमारा काम अपील करना है। आगे क्या होगा, उस बारे में कुछ नहीं कह सकता। अपील दायर करने के बाद जो करना है, वो अदालत को करना है।
सिब्बल ने यह भी कहा कि महाभियोग प्रस्ताव से संबंधित कदम का न्यायाधीश बी एच लोया की मौत के मामले से कोई संबंध नहीं है क्योंकि लोया मामले में अदालत का फैसला आने से कई दिन पहले ही महाभियोग प्रस्ताव से संबंधित प्रक्रिया आरंभ हो गई थी। इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नायडू के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों की ओर से प्रस्ताव दिए जाने से शुरू हो जाती है।