- भारत खबर || नई दिल्ली
हाथरस गैंगरेप प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना भारी फैंसला सुनाया है। बताते चलें कि हाथरस गैंगरेप पीड़िता के शव को प्रशासन द्वारा देर रात को जला दिया गया था। जिस पर हाईकोर्ट ने अपनी शर्मिंदगी जाहिर की है। इस प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने एडीजी और जिलाधिकारी पर भारी नाराजगी जताई है। और उनके इस नाकारा कदम के लिए उन्हें काफी प्रताड़ित भी किया। हाई कोर्ट का कहना है कि प्रशासन द्वारा उठाया जाने वाला यह कदम बेहद निंदा के योग्य है। उन्होंने इस प्रकरण पर एडीजी व जिलाधिकारी से अनेकों प्रश्न भी किए। लेकिन दोनों के पास उनके प्रश्नों के लिए कोई जवाब नहीं था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस प्रकरण पर फैंसला सुनाते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा गाया जाने वाला यह कदम बेहद असराहनीय है। हाईकोर्ट ने पीड़िता उसके परिवार के लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन करने के आरोप में जिलाधिकारी पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। और इसी के साथ-साथ उन्होंने छात्रा जैसे प्रकरण में चमके संस्कार करने के नए नियम भी जारी किए हैं।
बताते चलें पीड़ित दीवार ने सोमवार को पीठ के समक्ष हाजिर होकर यह आरोप लगाया था कि हमारी बेटी केशव को प्रशासन द्वारा जबरन जला दिया गया व संस्कार के लिए हमें उसका शव भी नहीं दिया गया।
बताते चलें कि हाई कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने खुद कुबूल किया है। उनका कहना है कि पीड़िता के शव को रात में जलाने का निर्णय जिला प्रशासन का था। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की कि लिहाजा राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे ताकि मामले की पूरी विधिक और न्यायिक कार्यवाही निष्पक्ष रूप से हो सके।
इसी के साथ-साथ हाई कोर्ट पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं होने का दावा करने वाले पुलिस अधिकारी एडीजी प्रशांत कुमार और जिलाधिकारी को भी कड़ी फटकार लगाई है। उनके इस नाकारा कदम पर बेहद शर्मिंदगी व्यक्त की। अपना फैसला सुनाते हुए अदालत ने पीड़िता के परिवार को उचित मुआवजा मुहैया कराने का भी फैंसला लिया और यह कहा कि अगर पीड़ित परिवार इस धनराशि को लेने से मना करता है तो इसे जिलाधिकारी राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करा दिया जाए। इस प्रकरण पर अभी जांच की जा रही है और अभी मुख्य सुनवाई का होना बाकी है।